Bombay High Court की फैमिली कोर्ट को लेकर अहम टिप्पणी, महाराष्ट्र सरकार से कही ये बात
Maharashtra News: एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को हर जिले में फैमिली कोर्ट स्थापित करने को कहा है.
Bombay HC On Family Court: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने गुरुवार को राज्य सरकार से हर जिले में फैमिली कोर्ट बनाने की पहल करने को कहा. न्यायमूर्ति अनिल के मेनन और न्यायमूर्ति मकरंद एस कार्णिक की खंडपीठ एक व्यवसायी तुषार गुप्ता की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि फैमिली कोर्ट एक्ट के अनुसार, दस लाख से अधिक आबादी वाले हर शहर के लिए कम से कम एक फैमिली कोर्ट की आवश्यकता है.
याचिकाकर्ता, जो कानून की पढ़ाई कर रहा है, ने कहा कि वह आरटीआई के जवाबों के माध्यम से यह जानकर हैरान था कि अकेले मुंबई में, 5,000 से अधिक तलाक के मामले लंबित थे और केवल सात पारिवारिक अदालत के न्यायाधीश थे, जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार, छह और न्यायाधीश हैं. जनसंख्या में वृद्धि के कारण आवश्यकता और भी अधिक हो सकती है.
याचिका में किया गया बड़ा दावा
याचिका में दावा किया गया है कि भले ही 2011 की जनगणना के अनुसार महाराष्ट्र की आबादी कम से कम 11.24 करोड़ है, लेकिन महाराष्ट्र में फैमिली कोर्ट की कुल संख्या 19 है, जबकि कानून के मुताबिक यह 39 होनी चाहिए. बकौल, द इंडियन एक्सप्रेस, राज्य के वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को याचिका में पक्षकार बनाया जाना चाहिए क्योंकि उच्च न्यायालय प्रशासन के परामर्श से पारिवारिक न्यायालय स्थापित किए जाने हैं.
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पीठ ने कही ये बात
पीठ ने सवाल किया कि फैमिली कोर्ट स्थापित करने के लिए जमीन कहां उपलब्ध है और राज्य को पहले इसे उपलब्ध कराना चाहिए. पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि पहला कदम आपने (राज्य) उठाया है. हमें जमीन दो. हम आपको बताएंगे कि इसे (फैमिली कोर्ट) कैसे बनाया जाए.
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