Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट व्यक्तिगत रूप से उपस्थित 4 कानून छात्रों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिन्होंने राज्य सरकार द्वारा घोषित छुट्टी को चुनौती दी है. याचिका में दावा किया गया है कि राज्य सरकार द्वारा घोषित यह अवकाश मनमाना है और इस तरह की छुट्टी की घोषणा करना राज्य सरकार के अधिकार में नहीं है. याचिकाकर्ताओं ने तत्काल सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ के गठन की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को आवेदन दिया था.


कौन हैं वो चार छात्र?
बार एंड बेंच के मुताबिक, 21 जनवरी, 2024 को याचिका पर सुनवाई के लिए जस्टिस जीएस कुलकर्णी और नीला गोखले की एक विशेष पीठ का गठन किया गया है. याचिकाकर्ता, शिवांगी अग्रवाल, सत्यजीत साल्वे, वेदांत अग्रवाल, खुशी बंगिया, महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एमएनएलयू), गवर्नमेंट लॉ कॉलेज (जीएलसी), मुंबई और निरमा लॉ यूनिवर्सिटी, गुजरात में कानून की पढ़ाई कर रहे छात्र हैं. उन्होंने महाराष्ट्र सरकार द्वारा 19 जनवरी को जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है.


किया गया है ये दावा
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि सार्वजनिक अवकाश घोषित करने से "शैक्षिक संस्थान बंद होने पर शिक्षा का नुकसान होगा, बैंकिंग संस्थान बंद होने पर वित्तीय नुकसान होगा, और सरकारी और सार्वजनिक कार्यालय बंद होने पर शासन और सार्वजनिक कार्यों का नुकसान होगा". जनहित याचिका में दावा किया गया कि राम मंदिर के अभिषेक का जश्न मनाने के लिए छुट्टी की घोषणा करना “धार्मिक उद्देश्यों के लिए सरकारी खजाने से खर्च करने के अलावा कुछ नहीं है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 27 (किसी भी व्यक्ति पर किसी धर्म को बढ़ावा देने या धार्मिक संस्था को बनाए रखने के लिए कर नहीं लगाया जा सकता है) द्वारा स्पष्ट रूप से निषिद्ध है."


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