Bombay High Court News: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) की नागपुर पीठ ने शिक्षकों के वेतन और बकाया भुगतान से संबंधित अदालत के आदेशों का पालन नहीं करने पर महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा विभाग के सचिव और ऊपरी सचिव के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है. न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण और न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फाल्के की खंडपीठ ने बुधवार को चित्रा मेहर की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उसके आदेशों का पालन नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई थी.


क्या बोले मेहर के वकील आनंद परचुरे?
मेहर के वकील आनंद परचुरे ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किए गए शिक्षकों को 'कुशल शिक्षकों' के वेतनमान के अनुसार वेतन नहीं दिया जा रहा है. 2018 में, मेहर सहित कुछ शिक्षकों ने उपरोक्त वेतनमान के अनुसार वेतन के भुगतान की मांग करते हुए एचसी का रुख किया. 2022 में, हाई कोर्ट ने सरकार को याचिकाकर्ताओं को 2.13 करोड़ रुपये और अन्य बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया. लेकिन कोई भुगतान नहीं किया गया, इसलिए शिक्षकों ने पिछले साल अवमानना ​​याचिका दायर की थी. 


आदेशों का पालन क्यों नहीं किया गया?
सितंबर में कोर्ट ने शिक्षा विभाग के सचिव को एक नवंबर को उपस्थित रहने का निर्देश दिया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए. अदालत ने कहा कि इस बात का भी कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं है कि पहले के आदेशों का पालन क्यों नहीं किया गया.


हाई कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
एचसी ने अपने आदेश में कहा, “उपरोक्त परिस्थितियों में, हमारे पास महाराष्ट्र सरकार, स्कूल शिक्षा और खेल विभाग के सचिव रणजीत सिंह देयोल और महाराष्ट्र सरकार, स्कूल के अपर सचिव संतोष गायकवाड़ के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. पीठ ने नागपुर पुलिस आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से वारंट निष्पादित करने और अधिकारियों को 6 नवंबर को अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया.


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