Bombay High Court on Dog Cruelty Case: बॉम्बे हाईकोर्ट में आवारा कुत्तों के साथ क्रूरता पर कड़ी नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने कहा कि लावारिस कुत्तों से नफरत करना या उनके साथ क्रूर व्यवहार करना स्वीकार नहीं है. सभ्य समाज के व्यक्तियों से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती है कि वे आवारा कुत्तों के साथ क्रूरता करें. बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है. महिला ने दावा किया कि उसे रिहायशी सोसाइटी में कुत्तों को खाना खिलाने से रोका जा रहा है.
इनकी देखभाल करनी होगी
कोर्ट ने सोसाइटी से सौहार्दपूर्ण तरीके से मुद्दे को हल करने को कहा है. न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरएन लड्ढा की खंडपीठ ने मंगलवार को हाईकोर्ट परिसर में कई आवारा कुत्तों और बिल्लियों की देखभाल करने वाले वकीलों और न्यायाधीशों का उदाहरण दिया. न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने कहा कि यह जानवर भी जीवित प्राणी हैं और हमारे समाज का हिस्सा हैं. हमें इनकी देखभाल करनी होगी.
कुत्ते इंसान नहीं होते: बॉम्बे हाई कोर्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अन्य फैसला सुनाते हुए कहा, 'मालिक कुत्तों को अपने बच्चों के रूप में मान सकते हैं, लेकिन कुत्ते इंसान नहीं हैं और इसलिए किसी व्यक्ति पर आईपीसी की धारा 279 और 337 के तहत मानव जीवन को खतरे में डालने या किसी अन्य व्यक्ति को चोट या चोट पहुंचाने की संभावना के लिए मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है.
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने एक स्विगी फूड डिलीवरी पार्टनर के खिलाफ एक प्राथमिकी को खारिज कर दिया. जो मरीन ड्राइव के पास सड़क पार करने की कोशिश कर रहे एक कुत्ते के साथ दुर्घटनाग्रस्त हो गया. कुत्ते की बाद में मौत हो गई, जबकि याचिकाकर्ता भी घायल हो गया क्योंकि उसकी मोटरसाइकिल अचानक ब्रेक लगाने के कारण फिसल गई.
ये भी पढ़ें: Girish Bapat Death: पुणे के BJP सांसद गिरीश बापट का हुआ निधन, दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में ली अंतिम सांस