Bombay High Court on Compassionate Appointment Claim: बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मृतक पुलिसकर्मी के बेटे के लिए अनुकंपा नियुक्ति के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया कि कर्मचारी के दो से अधिक बच्चे थे, जिससे उसका परिवार अनुकंपा नियुक्ति के लाभ के लिए अयोग्य हो गया.


लाइव लॉ के अनुसार, न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर और न्यायमूर्ति राजेश एस पाटिल की खंडपीठ ने एक रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एक फैसले को चुनौती दी गई थी.


बॉम्बे हाई ने कुछ ऐसा ही फैसला कुछ दिन पहले सुनाया था. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कांदिवली निवासी को उसकी हाउसिंग सोसाइटी की प्रबंध समिति से अयोग्य ठहराने के आदेश को बरकरार रखा क्योंकि उसके दो से ज्यादा बच्चे थे. कोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र सहकारी समितियां (MCS) अधिनियम, 1960 में 2019 के संशोधन द्वारा पेश किया गया “छोटा परिवार” नियम इस मामले में लागू था.






"छोटे परिवार" नियम के अनुसार, दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को सहकारी आवास सोसायटी की प्रबंध समिति में शामिल होने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाता है.


न्यायमूर्ति अविनाश घरोटे की एकल पीठ ने चारकोप कांदिवली एकता नगर सहकारी आवास सोसायटी के सदस्य पवन कुमार सिंह की याचिका खारिज कर दी. सिंह ने उच्च न्यायालय का रुख तब किया था जब सहकारी समितियों के संभागीय संयुक्त रजिस्ट्रार ने 2 मई को उनकी अपील खारिज कर दी थी, जिसमें डिप्टी रजिस्ट्रार द्वारा मई 2023 में पारित आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्हें उनकी सोसायटी की प्रबंध समिति के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया गया था.


पिछले साल सोसायटी के चुनावों के बाद, दो सदस्यों दीपक तेजाड़े और रामाचल यादव ने पश्चिमी उपनगर के डिप्टी रजिस्ट्रार के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि सिंह को प्रबंध समिति का हिस्सा बनने के लिए अयोग्य ठहराया गया था क्योंकि उनके दो से अधिक बच्चे थे. उन्होंने तर्क दिया कि यह एमसीएस अधिनियम की धारा 154बी-23 का उल्लंघन है.






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