Bombay High Court News: बम्बई उच्च न्यायालय ने बुधवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अक्टूबर 2022 में मुंबई में आयोजित दशहरा रैली के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना द्वारा इस्तेमाल किए गए कोष की जांच का अनुरोध किया गया था. मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने जनहित याचिका खारिज कर दी क्योंकि याचिकाकर्ता के वकील मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में पेश नहीं हुए. वकील नितिन सतपुते पहले भी दो बार अदालत में पेश नहीं हुए थे जब याचिका सुनवाई के लिए आयी थी.


पिछली सुनवाई के दौरान, पीठ ने याचिकाकर्ता दीपक जगदेव से उन दस्तावेजों या सबूतों को रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहा था जो जनहित याचिका में उनके दावों को साबित कर सकें. याचिका में दावा किया गया था कि बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में शिंदे की रैली में राज्य भर से लगभग 2 लाख लोग आए थे. इसमें कहा गया था कि कार्यक्रम में लोगों को लाने-ले जाने के लिए महाराष्ट्र सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) की 1,700 बसों का इस्तेमाल किया गया था.


याचिकाकर्ता ने क्या कहा?
याचिकाकर्ता ने कहा, कि रैली में उपलब्ध कराई गई अन्य सुविधाओं के अलावा, उक्त सेवा के लिए एमएसआरटीसी को 10 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया था. जून 2022 में मुख्यमंत्री बनने के बाद शिंदे की यह पहली बड़ी रैली थी.वर्ष 2022 में दायर जनहित याचिका में इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा सहित केंद्रीय एजेंसियों से जांच का अनुरोध किया गया था.


दीपक जगदेव ने क्या आरोप लगाए?
याचिकाकर्ता दीपक जगदेव ने आरोप लगाया कि मुंबई से नागपुर तक निर्माणाधीन समृद्धि महामार्ग एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल कथित तौर पर यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए और MSRTC से अनुमति प्राप्त किए बिना रैली समर्थकों को मुंबई ले जाने के लिए किया गया था. याचिका में सबूत के तौर पर औरंगाबाद में एक राजमार्ग दुर्घटना का हवाला दिया गया, जिसमें दस वाहन शामिल थे. इसके अतिरिक्त, याचिकाकर्ता ने दावा किया कि समाचार पत्रों के विज्ञापनों, बीकेसी मैदान को किराए पर लेने, गाने और टीज़र बनाने, 2000 होर्डिंग्स लगाने और भोजन के पैकेट उपलब्ध कराने पर पर्याप्त खर्च किया गया था.


ये भी पढे़ं: Bombay High Court: 'मामले को गंभीरता से लें', बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार, जानें क्या है मामला?