Bombay High Court Dismisses Plea Against Uddhav: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने पुणे (Pune) के एक कार्यकर्ता द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें उद्धव ठाकरे के खिलाफ जांच करने और एफआईआर दर्ज करने के लिए महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश देने की मांग की गई थी. इसमें कथित राजद्रोह और सार्वजनिक उपद्रव के लिए मुख्यमंत्री, आदित्य ठाकरे और शिवसेना सांसद संजय राउत पर कार्रवाई की मांग की गई थी. अदालत ने याचिकाकर्ता को निजी शिकायत के साथ मजिस्ट्रेट के पास जाने की छूट दी.
पीआईएल में बताई गई बागी विधायकों के गुवाहाटी जाने की वजह
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मकरंद एस कार्णिक की खंडपीठ हेमंत बाबूराव पाटिल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसने शिवसेना नेताओं को बागी विधायकों और राज्य में पैदा हुए राजनीतिक संकट के मुद्दे पर महाराष्ट्र में प्रेस कॉन्फ्रेंस, दौरों और विभिन्न स्थानों पर जाने से रोकने के आदेश की भी मांग की. पाटिल ने अधिवक्ता आरएन कचवे के माध्यम से दायर अपनी जनहित याचिका में दावा किया कि राजनीतिक संकट के दौरान, असंतुष्ट विधायक, ठाकरे और राउत से धमकी मिलने के बाद अपनी जान बचाने के लिए गुवाहाटी भाग गए.
उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में शिवसेना कैडर द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन नागरिकों के मन में भय पैदा करने का एकमात्र तरीका था, जो राज्य में दंगा जैसी स्थितियों और हिंसा की आशंका जता रहे थे और अधिकांश विरोध प्रदर्शन ठाकरे और राउत के प्रभाव और उकसावे के तहत आयोजित किए गए थे.
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