Maharashtra News: महाराष्ट्र में लंब समय से चले आ रहे एक विवाद में महायुति को बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. विवाद राज्यपाल द्वारा मनोनीत 12 एमएलसी से जुड़ा था. उद्धव ठाकरे गुट के नेता और कोल्हापुर शहर अध्यक्ष सुनील मोदी ने विधान परिषद में 12 सीटों को भरे जाने में हो रही देरी और नियुक्तियों को चुनौती दी थी. दरअसल, साल 2022 में तत्कालीन एकनाथ शिंदे सरकार ने पहले की एमवीए सरकार द्वारा मनोनीत नामों की लिस्ट वापस ले ली थी, जिसके बाद शिवसेना यूबीटी ने 'अतिक्रमण' और 'राज्यपाल की निष्क्रियता' का आरोप लगाया था.
अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिवसेना यूबीटी द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि महायुति सरकार का सूची वापस लेने का फैसला सही है. साल 2020 में इसे लेकर तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार के बीच लंबा विवाद चला था.
महायुति का दावा- कैबिनेट बैठक में हुआ था फैसला
एमवीए सरकार ने 6 नवंबर 2020 को तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को 12 मनोनीत एमएलसी की सूची भेजी थी. उस दौरान राज्यपाल ने इस सूची पर कोई कार्रवाई नहीं की थी. इसके बाद 5 सितंबर 2022 को एकनाथ शिंदे की महायुति सरकार ने लिस्ट वापस ले ली थी. महायुति सरकार ने हाई कोर्ट में दावा किया था कि सूची वापस लेने का फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया गया था.
हालांकि, शिवसेना यूबीटी की जनहित याचिका में दावा किया गया था कि बिना कारण बताए कैबिनेट ने सूची वापस लेने का फैसला ले लिया, जो कि गलत है.
सीपी राधाकृष्णन ने दी थी 7 नए नामों को मंजूरी
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की बेंच ने इस बात पर ध्यान दिया कि नामांकनों में राज्यपाल की भूमिका क्या था और क्या अलग-अलग मंत्रिमण्डलों द्वारा लिए गए फैसलों के बीच अंतर होना चाहिए?
वहीं, मौजूदा राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले 7 एमएलसी की एक नई लिस्ट को मंजूरी दी थी. इस दौरान सुनील मोदी ने तर्क दिया था कि जब तक कोर्ट में फैसला लंबित है, राज्यपाल इन नामों को मंजूरी नहीं दे सकते थे.
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