Mumbai: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह सरकार के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं करेगा. कोर्ट ने इसके साथ ही सांप या बिच्छू के काटने पर किसानों ही नहीं बल्कि सभी नागरिकों के लिए आर्थिक सहायता की मांग वाली याचिका का निस्तारण कर दिया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ ने कहा कि अदालत राज्य सरकार को किसी विशेष योजना को एक विशिष्ट तरीके से तैयार करने का निर्देश नहीं देगी.
अदालत ठाणे स्थित निसर्ग विज्ञान संस्था नाम के एक एनजीओ की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में गोपीनाथ मुंडे किसान दुर्घटना बीमा योजना के दायरे में वृद्धि की मांग की गई थी.
मध्य प्रदेश की योजना का दिया गया हवाला
योजना के अनुसार, जिन किसानों का नाम राज्य के राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है, वे सांप और बिच्छू के काटने के मामलों में हुई चोट के आधार पर दो लाख रुपये तक के मुआवजे के पात्र हैं. सांपों का बचाव कार्य में शामिल इस एनजीओ याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि बचाव प्रक्रिया के दौरान उसके अपने ही कुछ सदस्यों को सांपों ने काट लिया था.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अनुराग कुलकर्णी ने कहा कि मध्य प्रदेश में एक योजना थी जिसमें सांप या बिच्छू के काटने वाले किसी भी व्यक्ति को कवर किया गया था. कुलकर्णी ने यह भी कहा कि ऐसे कई मजदूर हैं जो खेतों में काम करते हैं लेकिन योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं, क्योंकि उनके पास राजस्व रिकॉर्ड में दर्शाने के लिए जमीन नहीं है. हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामले विधायिका को तय करने हैं.
राज्य सरकार ने आम लोगों से अलग माना है किसानों को
अदालत ने कहा कि चाहे कोई विशेष योजना किसी विशेष वर्ग के लिए हो या सभी के लिए वह राज्य की ओर लागू की जानी है. राज्य ने किसानों को आम नागरिकों से अलग माना है. जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह अदालत राज्य को एक विशेष तरीके से योजना बनाने का निर्देश नहीं देगी. यह राज्य के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण होगा.
ये भी पढ़ें :- Maharashtra News: 'महाराष्ट्र में नियमों के तहत टाडा दोषियों को पैरोल नहीं,' बंबई हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका