Mumbai News: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि 'खाना बनाना नहीं आने' पर किया गया कमेंट आईपीसी की धारा 498ए (498A) के अंतर्गत क्रूरता में नहीं आता. दरअसल एक महिला ने अपने पति के रिश्तेदारों के खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी. कोर्ट ने इस एफआईआर (FIR) को भी खारिज कर दिया गया. 


महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसके देवर समेत ससुराल वाले ताने मारते थे और उसका अपमान करते थे. वह 'खाना बनाना नहीं जानती' बोलकर ताना मारा करते थे. उसे यह भी कहते थे कि उसके माता-पिता ने उसे कुछ भी नहीं सिखाया है. बताया जा रहा है कि महिला की शादी जुलाई 2020 में हुई थी और उसने जनवरी 2021 में शिकायत की थी कि पति शादी होने के बाद संबंध नहीं बना पा रहा है और उसके ससुराल वाले उसे ताना मारते हैं. 


हाई कोर्ट ने बताई क्रूरता की परिभाषा
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि छोटे-मोटे झगड़े आईपीसी की धारा 498A के तहत क्रूरता नहीं हैं. कोर्ट ने साथ ही कहा कि इस तरह का अपराध तभी साबित होता है जब पहली नजर में महिला को आत्महत्या के लिए उकसाया गया हो या उसे गंभीर चोट पहुंचाई गई हो या दहेज के लिए परेशान किया गया हो. 


महिला के देवरों को मिली राहत
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ''याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एकमात्र आरोप यह है कि उन्होंने टिप्पणी की थी कि शिकायतकर्ता खाना बनाना नहीं जानती है. इस तरह की टिप्पणी आईपीसी की धारा 498A के अंतर्गत क्रूरता नहीं है.'' मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई और जस्टिस नितिन आर बोरकर की खंडपीठ ने शिकायतकर्ता महिला के देवरों की याचिका पर एक आदेश जारी किया. देवरों ने सांगली पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर और ट्रायल कोर्ट में पेंडिंग चार्जशीट को रद्द करने की मांग की थी.


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