(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bombay High Court ने राज्य सरकार से जब्त तंबाकू उत्पादों के निपटान को लेकर मांगा विस्तृत हलफनामा, एक PIL में की गई थी ये मांग
Maharashtra: बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने सरकार से एक मामले में हलफनामा दायर करने को कहा है. दरअसल अदालत ने सरकार द्वारा जब्त तंबाकू उत्पादों के निपटान के बारे में जानकारी मांगी है.
Bombay HC On Banned Tobacco Product: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की औरंगाबाद (Aurangabad) पीठ ने हाल ही में राज्य सरकार को राज्य में प्रतिबंधित तंबाकू और संबद्ध उत्पादों के निपटान के लिए तंत्र पर एक विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. साथ ही इस तरह के तंत्र के माध्यम से अब तक निपटाई गई मात्रा की जानकारी मांगी है. अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें छापेमारी करके और आपराधिक कार्रवाई शुरू करके प्रतिबंधित तंबाकू और संबद्ध उत्पादों के निर्माण, भंडारण, परिवहन और बिक्री को रोकने के लिए हर जिले में एक विशेष इकाई / विशेष कार्य बल गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी और ऐसी प्रतिबंधित कामों की शिकायत करने के लिए एक हेल्पलाइन की मांग की गई थी.
जनहित याचिका में की गई है ये मांग
याचिका में 29 मई, 2020, सरकारी प्रस्ताव (जीआर) के अनुसार राज्य सरकार के दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करने की भी मांग की गई है, जिसमें महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू, सुपारी, पान मसाला और गुटखा का सेवन और थूकना प्रतिबंधित है. राज्य के वकील ने अब तक की गई कार्रवाई के बारे में एक हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा, जिसे अदालत ने अनुमति दी. 28 जुलाई को एक खंडपीठ ने अहमदनगर के एक सामाजिक कार्यकर्ता और कृषक दादासाहेब पवार द्वारा जनहित याचिका में आदेश पारित किया.
अग्नि सुरक्षा नियमों को लेकर भी निर्देश दे चुका है कोर्ट
इससे पूर्व उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 2009 के मसौदा अग्नि सुरक्षा नियमों और विनियमों के कार्यान्वयन पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक समिति का गठन करे, जो आपदाओं की चपेट में आने वाली इमारतों और संरचनाओं के लिए है और मामले को 19 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम.एस. कार्णिक अधिवक्ता आभा सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें इमारतों में अग्नि सुरक्षा के लिए विशेष नियमों के मसौदे को लागू करने की मांग की गई थी क्योंकि 26 नवंबर, 2011 को होटल ताज हमले के बाद 2009 में नियम जारी किए गए थे.