Nanded Hospital death News: महाराष्ट्र के नांदेड़ अस्पताल में हुई मौतों के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी है. महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार के वकील एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ कहते हैं- ज्यादातर मरीजों को आखिरी स्टेज में सरकारी अस्पताल लाया गया. सरकारी अस्पतालों में बहुत दबाव है और कर्मचारियों की कमी है और उन मौतों के लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. सीएम खुद हालात पर नजर बनाए हुए हैं. आवश्यक व्यवस्थाएं करने के लिए जिला स्तर पर स्थानीय अधिकारियों को अधिकार दिये जा रहे हैं.
कोर्ट ने पूछे ये सवाल
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूछा- मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के 97 स्वीकृत पद हैं लेकिन फिलहाल वहां सिर्फ 49 ही तैनात हैं. आप उसके बारे में क्या कहेंगे? महाराष्ट्र सरकार के वकील का कहना है- महाराष्ट्र सरकार का स्वास्थ्य सेवा विभाग रिक्तियों को लेकर सकारात्मक है और इन्हें नवंबर तक भर दिया जाएगा. हाई कोर्ट ने मेडिसिन प्रोक्योरमेंट बोर्ड के सीईओ की अनुपलब्धता पर भी सवाल उठाए. महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश एजी ने कहा कि एक व्यक्ति के पास अतिरिक्त प्रभार है. एचसी ने कहा कि दवा खरीद बोर्ड का एक पूर्णकालिक और स्वतंत्र सीईओ होना चाहिए.
हाई कोर्ट की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
हाई कोर्ट नांदेड़ अस्पताल में हुई मौतों के मामले में महाराष्ट्र सरकार की रिपोर्ट को अपने आदेश में लेते हुए आदेश पारित कर रहा है. एचसी की रिपोर्ट में कहा गया है - कुछ मरीज बच नहीं सके क्योंकि उन्हें निजी अस्पतालों द्वारा बहुत देर से रेफर किया गया था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सभी दवाएं और अन्य आपूर्तियां उपलब्ध थीं और प्रोटोकॉल के अनुसार प्रशासित की गईं. रिपोर्ट चिकित्सा आयोग की रिपोर्ट के अनुसार नांदेड़ मेडिकल कॉलेजों में अधिक जनशक्ति और एक नए एनआईसीयू की आवश्यकता को रेखांकित करती है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 97 पदों में से केवल 49 ही भरे हुए हैं.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्या कुछ कहा?
बॉम्बे हाई कोर्ट का यह भी कहना है कि चिकित्सा शिक्षा के प्रधान सचिव द्वारा दायर हलफनामे में पिछले एक साल में चिकित्सा आपूर्ति के लिए नांदेड़ से जुड़े संस्थानों का विवरण भी देना चाहिए. सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव द्वारा अन्य अस्पतालों के लिए भी इसी तरह का विवरण प्रदान किया जा सकता है.