Bombay High Court on RTE: बॉम्बे हाई कोर्ट ने 19 जुलाई को महाराष्ट्र सरकार के उस परिपत्र को रद्द कर दिया, जिसमें सरकारी स्कूलों के एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को 25 फीसदी शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कोटे के तहत छात्रों को प्रवेश देने से छूट दी गई थी. कोर्ट ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम में महाराष्ट्र सरकार के संशोधन को असंवैधानिक करार दिया है.
क्या शिक्षा का अधिकार अधिनियम?
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) जो सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े, वंचित वर्गों के छात्रों को निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत आरक्षित सीटें प्रदान करता है. मुंबई नगर निगम के नगर शिक्षा विभाग के तहत आरटीई मंजूरी के बिना चल रहे 218 निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में से कुल 192 स्कूलों को आरटीई मंजूरी दी गई थी. हालांकि, राज्य सरकार की ओर से जारी अध्यादेश के कारण यह उद्देश्य विफल हो गया. इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की मांग की गई.
हाई कोर्ट ने निजी, गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को आरटीई से बाहर करने के संबंध में राज्य सरकार द्वारा 9 फरवरी को जारी अधिसूचना को चुनौती स्वीकार कर ली थी. हाई कोर्ट ने मई महीने में ही इस नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी. हालांकि, हाई कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि इस दौरान अन्य छात्रों को दिए गए दाखिले प्रभावित नहीं होने चाहिए. राज्य सरकार ने दावा किया था कि आरटीई के कारण सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या कम हो रही है. हालांकि कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया.
यहां बता दें, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने RTE में संशोधन किया था कि 25 फीसदी दाखिले की शर्त उन स्कूलों पर लागू नहीं होगी, जहां निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के 1 किमी के दायरे में सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल हैं। इस संबंध में शिक्षा निदेशक ने दिनांक 15.04.2024 को पत्र जारी किया था.