Mumbai News: फ्लैट खरीदार को लंबे समय से फ्लैट का कब्जा नहीं  दे रहे एक डेवलपर को महाराष्ट्र रियल एस्टेट अपीलीय प्राधिकरण (MahaREAT) ने लताड़ लगाते हुए, खरीदार को तब तक ब्याज देने का निर्देश दिया जब तक उन्हें फ्लैट का कब्जा नहीं मिल जाता. अपने फैसले में  MahaREAT ने कहा कि कब्जा पाने के लिए एक फ्लैट खरीदार अनिश्चितकाल तक इंतजार नहीं कर सकता इसलिए डेवलपर को उसे 1 जनवरी 2018 से कब्जा पाने तक कुछ न कुछ ब्याज देनी होगी.


एग्निमेंट में नहीं था कब्जे की तारीख का जिक्र


MahaREAT ने 17 जून को यह आदेश जर्विस और रोज क्रीडो की अपील पर महाराष्ट्र रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (महारेरा) के 24 दिसंबर 2019 के उस आदेस के खिलाफ सुनाया जिसमें उसने डेवलपर ऐश्वर्या लाइट कंस्ट्रक्शन कंपनी को बिक्री के लिए एक पंजीकृत समझौते को निष्पादित करने का निर्देश दिया था, लेकिन फ्लैट के कब्जे में देरी ले लिए  रियल एस्टेट विनियमन अधिनियम की धारा 18 के तहत युगल को ब्याज देने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि एग्रिमेंट में कहीं भी कब्जे की तारीख का जिक्र नहीं था.


दंपति ने अंधेरी में खरीदा था 80 लाख का फ्लैट


बता दें कि इस दंपति ने अंधेरी के मजास में ऐश्वर्या हाइट्स में एक खुली पार्किंग के साथ 466 वर्ग फुट का एक फ्लैट 80 लाख रुपए में बुक किया था. डेवलपर और खरीदार के बीच फरवरी 2017 में फ्लैट की खरीद का तो एग्रीमेंट हो गया लेकिन फ्लैट का कब्जा कब मिलेगा इसले लिए उसने दिसंबर 2017 तक का वादा देकर अपंजीकृत समझौता कर लिया.


भुगतान की गई राशि पर 2 प्रतिशत की दर से देनी होगी ब्याज


जब क्रीडो को तय समय पर फ्लैट का पजेशन नहीं मिला तो उन्होंने महारेरा का रुख किया. महारेरा ने उन्हें यह कहते हुए मना  कर दिया कि एग्रीमेंट में फ्लैट के पजेशन की कोई तारीख निश्चित नहीं है. इसके बाद उन्होंने  MahaREAT का रुख किया. MahaREAT के सदस्य एस एस संधू और श्रीराम जगताप  ने  क्रेडो के वकील की दलील सुनने के बाद कहा कि तमाम दस्तावेजों को देखते के बाद यह साबित होता है कि चार डेवलपरों में से एक ने खरीदार के साथ दिसंबर 2017 में फ्लैट का पजेशन देने का एक अनधिकृत समझौता किया था, इसलिए वह तय तारीख तक कब्जा देने के लिए बाध्य है. उन्होंने आगे कहा कि खरीदार अनिश्चित काल तक कब्जे के लिए इंतजार नहीं कर सकता इसलिए उसे 1 जनवरी 2018 से कब्जा देने तक ब्याज दी जाए.   MahaREAT ने डेवलपर को एसबीआई की उच्चतम सीमांत लागत उधार दर के हिसाब से ब्याज देने  और भुगतान की गई राशि पर 2% ब्याज और मुकदमेबाजी के लिए 10 हजार रुपए देने का निर्देश दिया.


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