CBI Report Against Anil Deshmukh: महाराष्ट्र में जलगांव के तत्कालीन एसपी को धमकी देने के मामले में पुणे मकोका कोर्ट में अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता गिरीश महाजन के मामले में सीबीआई ने रिपोर्ट दी है. सीबीआई ने अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए हैं.


महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने जलगांव के तत्कालीन एसपी को धमकी दी थी. अनिल देशमुख द्वारा धमकी दिए जाने के कारण मामला दर्ज किया गया था. 


जलगांव के तत्कालीन एसपी प्रवीण मुंढे ने सीबीआई को चौंकाने वाला बयान दिया, जिसमें प्रवीण मुंढे ने कहा, ''विजय भास्करराव पाटिल ने गिरीश महाजन के खिलाफ शिकायत दी थी. शिकायतकर्ता के आने से पहले ही अनिल देशमुख का मुझे फोन आया. अनिल देशमुख ने कहा था कि विशेष सरकारी वकील प्रवीण चव्हाण आपके पास आएंगे और ब्रीफ करेंगे.'' 


तत्कालीन एसपी ने बयान में आगे कहा, ''उसके बाद प्रवीण चव्हाण आए और उन्होंने शिकायत के बारे में बताया और कहा कि अनिल देशमुख का आदेश है, एफआईआर दर्ज करो. मैंने उन्हें पुणे शहर पुलिस के पास जाने को कहा क्योंकि जो घटना वह बता रहे थे, वह जलगांव सीमा की नहीं थी. लेकिन, शिकायतकर्ता ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.''


प्रवीण मुंढे ने कहा, ''एक हफ्ते बाद फिर अनिल देशमुख का फोन आया. उन्होंने फिर से शिकायतकर्ता को भेजने की बात कही. मैंने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की. शिकायतकर्ता के लगातार प्रयास और गृह मंत्री के सीधे फोन कॉल्स के कारण मैंने पूरी घटना नासिक आईजी लॉ एंड ऑर्डर और ADG लॉ एंड ऑर्डर को बताई.


उन्होंने बयान में आगे कहा, ''एक हफ्ते बाद फिर से अनिल देशमुख का फोन आया. इस बार उन्होंने मुझे धमकाया और पूछा कि एक एफआईआर के लिए 3 बार फोन क्यों करना पड़ता है. लगातार गृह मंत्री द्वारा धमकाए जाने के कारण आखिरकार मामला दर्ज किया गया. जबकि इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं थी, इसके बावजूद ज़ीरो एफआईआर केवल अनिल देशमुख के दबाव में दर्ज की गई.''


क्या था पूरा मामला ? 


आपको बता दें कि महाराष्ट्र सरकार की सिफारिश पर, सीबीआई ने बीजेपी नेता गिरीश महाजन और 28 अन्य के खिलाफ एक मामला पुनः दर्ज किया है. महाजन और 28 अन्य पर पुणे पुलिस ने जलगांव जिले में एक शैक्षणिक संस्थान के निदेशक द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर जबरन वसूली और हमला करने का आरोप लगाया था.


महाराष्ट्र के गृहमंत्री उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 22 जुलाई 2022 को महाजन के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की थी जिसे 2 सितंबर को एजेंसी को भेजा गया था.


एफआईआर को पुणे ट्रांसफर कर दिया गया था क्योंकि कथित अपराध पुणे में हुआ था. यह मामला 29 लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया था, जिसमें महाजन भी शामिल हैं, यह FIR जलगांव जिले मराठा विद्या प्रसारक सहकारी समाज के डिरेक्टर विजय पाटिल की शिकायत पर दर्ज की गई थी. 


पाटिल ने पुलिस को बताया था कि वो संस्थान के चेयरमैन और उनके बड़े भाई नरेन्द्र पाटिल के कहने पर 2018 में उनके सहयोगी संस्थान के पूर्व सचिव तानाजी भोईटे से पुराने रिकॉर्ड लेने के लिए पुणे गए थे. जब वे पुणे में थे, तब एफआईआर में नामित एक आरोपी निलेश भोईटे ने कथित तौर पर पाटिल से कहा कि वह संस्थान को उन्हें सौंप दें क्योंकि महाजन इसमें रुचि रखते हैं.


उसने महाजन को वीडियो कॉल भी किया, जिसने पाटिल से कहा कि सभी निदेशक अपने इस्तीफे दें और निलेश भोईटे को नियंत्रण सौंप दें. आरोपी ने पाटिल को 1 करोड़ रुपये की पेशकश की, लेकिन जब उन्होंने इनकार किया, तो उन्हें कथित तौर पर सादाशिव पेठ क्षेत्र में एक फ्लैट में ले जाया गया, जहां एक आरोपी ने उनके सिर पर मारा और चाकू की नोक पर धमकी दी.


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