Maharashtra Politics: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र् के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल के बाबरी मस्जिद को लेकर दिए गए बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पाटिल के बयान को शिवसेना और बाला साहेब ठाकरे का अपमान बताया है और इसको लेकर उन्होंने चंद्रकांत पाटिल या एकनाथ शिंदे के इस्तीफे की मांग की है. उन्होंने कहा कि बीजेपी स्पष्ट करे कि क्या पाटिल का यह बयान उन्हें मान्य है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे जो बालासाहेब को अपना गुरु मानते हैं क्या वे अपने गुरु का अपमान बर्दाश्त करेंगे?


क्या है पूरा मामला?
दरअसल सोमवार को बीजेपी नेता चंद्रकांत पाटिल ने दावा किया था कि बाबरी मस्जिद विध्वंस में शिवसेना का एक भी कार्यकर्ता शामिल नहीं था. पाटिल ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय राउत बाबरी मस्जिद विध्वंस के बारे में बात करते रहते हैं, लेकिन उनके मन में सवाल पैदा होता है कि क्या वह उस समय अयोध्या में थे भी.


पाटिल ने अब पेश की सफाई
चूंकि पाटिल के इस बयान के शिवसेना बालासाहेब ठाकरे का अपमान बता रही है, इसलिए अपने बयान को लेकर अब चंद्रकातं पाटिल ने सफाई पेश दी है. पाटिल ने कहा कि मैं खुद उद्धव से फोन पर बात करूंगा. शिवसेना का बाबरी गिराने में रोल नहीं है ऐसा मेरा कहना नहीं है. उद्धव ठाकरे को गलतफहमी हुई है. मैं मुंबई से हूं, बालासाहेब ठाकरे का अपमान में कर ही नहीं सकता. उन्होंने कहा कि बाबरी ढांचा गिराने में सारे लोग हिंदू थे कोई बीजेपी या शिवसेना का नहीं था.


'शिवसेना को इसका क्रेडिट नहीं लेना चाहिए'


हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जो ढांचा गिराया गया वह विश्व हिंदू परिषद के अंतर्गत गिराया गया, शिवसेना को इसका श्रेय नहीं लेना चाहिए. पाटिल ने कहा कि शिवसेना को यह देखना चाहिए कि मैंने आदर से बालासाहेब के बारे में बहुत बात की है लेकिन मेरे मेरे बयान का कई बार गलत मतलब निकाल लिया जाता है. उन्होंने कहा कि आनंद दिघे ने राम मंदिर के लिए सोने की ईंट भेजी थी.


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