Maharashtra Politics: छगन भुजबल ने किया मंत्री पद छोड़ने का दावा, देवेंद्र फडणवीस बोले- 'इस्तीफा नहीं हुआ स्वीकार'
Chhagan Bhujbal Resignation: एनसीपी (AP) से छगन भुजबल ने अलग होकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि वह मराठा समुदाय के आरक्षण के विरोध में नहीं है, लेकिन वह ओबीसी कोटे को साझा करने के खिलाफ हैं.
Maharashtra: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (AP) से अलग हुए मंत्री छगन भुजबल ने शनिवार (3 फरवरी) को दावा किया कि उन्होंने 16 नवंबर को महाराष्ट्र कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन इस बात को गुप्त रखा था. अहमदनगर में छगन भुजबल ने एक विशाल ओबीसी एल्गर रैली को संबोधित किया.
इस दौरान छगन भुजबल ने कहा कि उन्होंने खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री के पद से इस्तीफा दो महीने पहले 16 नवंबर को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सौंप दिया था. जब मराठा आरक्षण मुद्दे पर राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन चरम पर था, लेकिन उन्होंने इस पर चुप रहना ही बेहतर समझा.
सीएम-डिप्टी सीएम ने किया ये अनुरोध
छगन भुजबल ने कहा कि वह अगले दिन यानी 17 नवंबर को एक निर्धारित सार्वजनिक रैली के लिए गए थे, और 18 नवंबर को सीएम एकनाथ शिंदे ने दोनों डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार के साथ उन्हें इस मामले पर चर्चा करने के लिए बुलाया था. उस बैठक में सीएम और दोनों डिप्टी सीएम ने उनसे अपना इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया, क्योंकि इससे राज्य में राजनीतिक जटिलताएं और संभावित कानून-व्यवस्था का मुद्दा पैदा हो सकता है.
'विधायक पद छोड़ने की योजना'
भुजबल ने कहा कि उनका त्याग पत्र अभी भी शिंदे के पास है, लेकिन अब वह समाज के हित में और ओबीसी को न्याय सुनिश्चित करने के बड़े उद्देश्य के लिए येओला (नासिक) से विधायक पद छोड़ने की योजना बना रहे हैं. यह खुलासा तब हुआ, जब उन्होंने शिवबा संगठन के अध्यक्ष मनोज जरांगे-पाटिल के छह महीने लंबे आंदोलन के बाद प्रस्तावित मराठा आरक्षण के संबंध में आक्रामक रुख अपनाया, जो 27 जनवरी को समाप्त हो गया था, लेकिन 10 फरवरी से फिर से शुरू हो सकता है. भुजबल ने शनिवार (4 फरवरी ) को रैली में सत्तारूढ़ महायुति सरकार और जरांगे-पाटिल पर भी कटाक्ष किया. उन्होंने दोहराया कि वह मराठों के लिए आरक्षण की मांग पूरी करवाने के लिए ओबीसी कोटा के मामले में कोई अन्याय नहीं होने देंगे.
'भुजबल का इस्तीफा नहीं किया गया स्वीकार'
वहीं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के वरिष्ठ नेता और राज्य कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है. फडणवीस ने शनिवार (3 फरवरी) देर रात मीडिया से कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही इस पर स्पष्टीकरण दे पाएंगे. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने शनिवार को खुलासा किया कि उन्होंने पिछले साल 16 नवंबर को राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने अपनी ही सरकार पर मराठा समुदाय को ओबीसी कोटा में पिछले दरवाजे से आरक्षण देने का आरोप लगाया है.
संजय राउत ने बताया बेकार की बात
भुजबल ने कहा कि वह दो महीने से अधिक समय तक चुप रहे, क्योंकि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने उन्हें इस बारे में नहीं बोलने के लिए कहा था. फडणवीस ने मीडिया से कहा, "मुख्यमंत्री इस पर स्पष्टीकरण दे पाएंगे, लेकिन मैं अभी केवल इतना ही कह सकता हूं कि भुजबल का इस्तीफा मैंने या मुख्यमंत्री ने स्वीकार नहीं किया है." शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता और सांसद संजय राउत ने भुजबल के इस खुलासे को "बेकार की बात" करार दिया. उन्होंने राज्य मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा पिछले साल नवंबर में दे दिया था.
संजय राउत ने कहा, "ऐसा बताया जा रहा है कि (कार्यकर्ता) मनोज जरांगे के जरिये मराठा आरक्षण आंदोलन चलाने के खिलाफ भुजबल के गुस्से के पीछे (उपमुख्यमंत्री) देवेंद्र फडणवीस का हाथ है. दोनों मिले हुए हैं. मैं इस्तीफा दे दूंगा लेकिन आप इसे स्वीकार नहीं करेंगे या आप इस्तीफा दे देंगे लेकिन हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे." राज्यसभा सदस्य ने पूछा कि भुजबल का इस्तीफा स्वीकार करने का अधिकार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास है या उपमुख्यमंत्री फडणवीस के पास.
मनोज जरांगे ने भुजबल के आरोपों से किया इनकार
उन्होंने कहा, "हमारा विचार है कि सभी समुदायों को उनके अधिकार मिलने चाहिए, लेकिन दूसरों के अधिकारों का अतिक्रमण करने की कीमत पर नहीं." मनोज जरांगे ने रविवार (4 फरवरी) को कहा कि भुजबल मराठा आरक्षण के बारे में अपने बयानों से उपमुख्यमंत्री अजित पवार और फडणवीस को "नुकसान" पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे. जरांगे ने जालना के अंतरवाली सरती गांव में मीडिया से बातचीत के दौरान भुजबल के इन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए छेड़-छाड़ करके और फर्जी रिकॉर्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है.
'ओबीसी के लिए आखिर तक लड़ूंगा'
भुजबल ने शनिवार को दोहराया कि वह मराठा समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन मौजूदा ओबीसी कोटा साझा करने के खिलाफ हैं. वह अजित पवार-नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सदस्य हैं. वरिष्ठ ओबीसी नेता ने कहा, "बर्खास्त करने की कोई जरूरत नहीं है. मैंने अपना इस्तीफा दे दिया है. मैं अंत तक ओबीसी के लिए लड़ूंगा."