Shiv Sena MLA Row: सीएम शिंदे की कुर्सी बरकरार, फैसले के बाद उद्धव ठाकरे पर किया हमला, बोले- 'पार्टी को बेच रहे थे ठाकरे'
Shiv Sena vs Shiv Sena Verdict: एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के सभी शिवसैनकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि एक बार फिर लोकतंत्र की जीत हुई है. सत्य की जीत हुई है.
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Eknath Shinde on MLA Row: महाराष्ट्र की शिंदे सरकार के लिए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बड़ा फैसला लेते हुए शिंदे गुट की शिवसेना को असली बताया है. राहुल नार्वेकर ने फैसले में कहा है कि एकनाथ शिंदे के पास 55 में से 37 विधायक हैं और उनके 16 एमएलए की सदस्यता भी बरकरार रहेगी. ऐसे में शिंदे सरकार कायम रहेगी और एकनाथ शिंदे ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहेंगे. इस मामले पर अब सीएम एकनाथ शिंदे की प्रतिक्रिया आ गई है. उनका कहना है कि इस पार्ट में लोकतंत्र को बढ़ावा मिला है.
विधायक अयोग्यता मामले में अपने पक्ष में फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने निजी चैनल आजतक को दिए इंटरव्यू में कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के फैसले से लोकतंत्र को बढ़ावा मिला है. वहीं, उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाते हुए सीएम शिंदे ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे स्पीकर दबाव में थे क्योकिं ठाकरे गुट उन पर आरोप लगाते हुए उन पर प्रेशर डालने की कोशिश कर रहा था. वहीं, नार्वेकर के इस फैसले पर उद्धव ठाकरे ने सवाल उठाए हैं. वहीं, उनका कहना है कि इस फैसले के विरुद्ध अब वह सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे.
'शिवसेना को वोट देने वाली जनता की जीत'
वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने यह भी कहा कि वह सभी शिवसैनिकों को बधाई देना चाहेंगे कि एक बार फिर लोकतंत्र जीत गया है. शिवसेना-बीजेपी के गठबंधन को वोट देने वाले लाखों लोगों की जीत हुई है. यह उस शिव सेना की जीत है, जो हिंदू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे के विचारों का समर्थन करते हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को प्रगतिशील बताते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह राजीनितक नेताओं की जवाबदेही तय करता है. इससे वोटर्स के वोट का सम्मान हुआ है और लोकतंत्र में उनके विवेक की सुरक्षा करने का काम किया गया है.
उद्धव ठाकरे ने दर्ज किया विरोध
वहीं, उद्धव ठाकरे ने विरोध दर्ज करते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया. इसे कोर्ट की अवमानना माना जा सकता है. इससे यह साबित होता है कि वह मानने लगे हैं कि वह सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर हैं. उन्होंने किसी को अयोग्य क्यों नहीं ठहराया?
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