Corruption Case: भ्रष्टाचार के मामले में 24 साल पहले दोषी ठहराए जाने और एक साल की सजा पाने वाले एक पुलिसकर्मी को बंबई हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहा कि पुलिसकर्मी ने 350 रुपये की रिश्वत स्वीकार की थी. बता दें कि महाराष्ट्र भ्रष्टाचार-निरोधक ब्यूरो ने 1988 में तत्कालीन पुलिस उप निरीक्षक दामू अव्हाड के खिलाफ 350 रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में मामला दर्ज किया था.


निचली अदालत ने ठहराया दोषी, हाईकोर्ट ने किया बरी


अगस्त 1998 में नासिक की एक विशेष अदालत ने दामू को दोषी ठहराते हुए एक साल कैद की सजा सुनायी थी. दामू ने इसी साल हाईकोर्ट में एक अपील दायर कर दी. न्यायमूर्ति वी जी वशिष्ठ की एकल पीठ ने गुरुवार को पारित आदेश में कहा कि केवल आरोपी से पैसे की बरामदगी के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता और अभियोजन दामू के खिलाफ मामले को साबित करने में विफल रहा है. आदेश की प्रति शुक्रवार को उपलब्ध हुई.


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1988 में पुलिसकर्मी के खिलाफ दर्ज हुआ था मामला


अदालत ने नासिक के येओला तालुका पुलिस थाने में तैनात तत्कालीन उप निरीक्षक को बरी कर दिया. अभियोजन के अनुसार, दामू ने मार्च 1988 में एक व्यक्ति से कथित तौर पर 350 रुपये की रिश्वत मांगी थी. व्यक्ति ने पुलिसकर्मी को रकम भाई को जमानत दिलाने में मदद के नाम पर दिया था.


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