Maharashtra Corona Death: बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कोरोना से जान गंवाने वालों के पीड़ितों के परिजनों के लिए मुआवजा राशि पाना अधिकार का मामला है और उन्हें इससे वंचित नहीं किया जाना चाहिए. हाई कोर्ट की बेंच प्रमेया वेलफेयर नाम के फाउंडेशन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका पर जस्टिस दिवाकर दत्ता और जस्टिस एम. एस. कार्णिक की बेंच की बेंच सुनवाई कर रही थी.
सुनवाई के दौरान बेंच ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह पता करें कि मुआवजा राशि के लिए डाक के माध्यम से या अन्य तरीकों से किए गए दावों में देरी क्यों हो रही है या उनसे इंकार क्यों किया जा रहा है.
डाक से किए आवेदन भी हों मान्य
याचिका में अन्य बातों के साथ-साथ अनुरोध किया गया है कि राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए कि मुआवजा पाने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना अनिवार्य नहीं होना चाहिए और अनुग्रह राशि उन्हें भी मिलनी चाहिए जो डाक से या अन्य तरीकों से इसका दावा कर रहे हैं. याचिकाकर्ता संगठन की वकील सुमेधा राव ने अदालत को बताया कि दावा करने वाले ज्यादातर लोग झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले या गरीब लोग हैं, जिन्हें ऑनलाइन फॉर्म भरने और दस्तावेज जमा करने में दिक्कत है.
बीएमसी के वकील ने दी ये दलील
बीएमसी के वकील ने अदालत को बताया कि अभी तक मुआवजे के लिए 34,000 आवेदन मिले हैं, जिनमें से 16,884 आवेदन मंजूरी और भुगतान के लिए आपदा प्रबंधन विभाग को भेजे गए हैं. अन्य आवेदनों में कुछ दिक्कतें हैं जैसे.. पता पूरा नहीं होना, सूचनाएं पूरी नहीं होना आदि, वहीं बीएमसी के अधिकार क्षेत्र के बाहर से आए आवेदनों को संबंधित प्राधिकार को भेजा जा रहा है.
हालांकि, संगठन की वकील सुमेधा राव का कहना था कि आवेदकों को उनके आवेदन अस्वीकार करने या उनके आवेदनों की स्थिति की जानकारी उपलब्ध नहीं कराने की वजहें नहीं बताई जा रही हैं. अदालत ने राज्य सरकार को इस मामले में आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिए समय देते हुए इस मामले को बृहस्पतिवार के लिए सूचीबद्ध कर दिया है.
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