Maharashtra: मानहानि मामले में उद्धव, आदित्य ठाकरे और संजय राउत को दिल्ली HC ने जारी किया समन, पढ़ें डिटेल
Defamation Case: शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में छपे कुछ बयानों के लिए मुकदमा दायर किया था. इसमें सीएम शिंदे गुट के द्वारा 2 हजार करोड़ रुपये में पार्टी का चुनाव चिन्ह खरीदने का आरोप लगा था.
Delhi High Court News: दिल्ली हाईकोर्ट ने 28 मार्च को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के सहयोगी राहुल शेवाले (Rahul Shewale) द्वारा दायर मानहानि के मामले में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray), सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) और विधायक आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) को समन जारी किया. शेवाले ने कुछ बयानों के लिए तीनों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था. इसमें आरोप लगाया गया था कि मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने 2 हजार करोड़ रुपये में पार्टी का चुनाव चिन्ह खरीदा था.
17 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई
शेवाले की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील राजीव नैय्यर ने कोर्ट से एक निषेधाज्ञा पारित करने का अनुरोध किया, ताकि उन्हें आगे कोई मानहानि का दावा करने से रोका जा सके. जज प्रतीक जालान ने कहा कि पक्षकारों की प्रतिक्रिया के बाद ही एक आदेश पारित किया जाएगा. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को करेगी.
दरअसल शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में राहुल शेवाले को लेकर एक आर्टिकल छपा था, जिसे लेकर शेवाले ने आरोप लगाया था कि इस आर्टकिल से उनकी सामाजिक छवि को नुकसान पहुंचाया गया. इसी को लेकर उन्होंने उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और संजय राउत के खिलाफ मानहानी का मामला दर्ज कराया था. दरअसल एकनाथ शिंदे गुट के नेता राहुल रमेश शेवाले ने कोर्ट से कहा कि उनके खिलाफ गलत जानकारी छापी गई. इसके अलावा हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कथित मानहानिकारक सामग्री को हटाने की मांग वाली याचिका पर गूगल, ट्विटर, उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और संजय राउत को 30 दिनों के भीतर अपने लिखित बयान दाखिल करने के लिए कहा है। सांसद राहुल रमेश शेवाले का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर और अरविंद वर्मा के अलावा चिराग शाह और उत्सव त्रिवेदी ने किया।
नायर द्वारा न्यायाधीश से यह पूछे जाने पर कि क्या प्रतिवादियों का आचरण उनकी अंतरात्मा को झकझोरता है, जज जालान ने कहा कि सवाल यह है कि क्या कोई व्यक्ति मेरी अंतरात्मा को झकझोरने का हकदार है? सवाल यह नहीं है कि यह मेरी अंतरात्मा को झकझोरता है या नहीं। सवाल यह है कि विचारों के मुक्त बाजार में क्या लोगों को ऐसी बातें कहने का अधिकार है, जो मेरी अंतरात्मा को झकझोर सकती हैं? अंतत: उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना ही पड़ेगा। कोर्ट ने कहा कि वह समन जारी करने के इस स्तर पर प्रथम दृष्टया निष्कर्ष देने से पहले प्रतिवादियों को एक अवसर देना चाहती है और जवाब जनना चाहती है।
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