Maharashtra Cabinet Decision: महाराष्ट्र सरकार ने नए साल की पहली कैबिनेट बैठक में एक बड़ा फैसला लिया है. महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारियों का सैलरी अकाउंट अब मुंबई के डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में खोला जाएगा. इसी के साथ इस बैंक में सरकारी निगमों से सरप्लस फंड का निवेश किया जा सकेगा. खास बात यह है कि यह बैंक बीजेपी के एक विधायक प्रवीण दारेकर का है. बीजेपी विधायक इस बैंक के चेयरमैन हैं. 


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2023 में महाराष्ट्र सरकार ने इसी काम के लिए 14 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को परमिशन दी थी. उस दौरान सरकार से अनुमति पाने के लिए बैंकों को सालाना ऑडिट में पांच साल तक 'A'-क्लास कैटेगरी में होना जरूरी था. इसके अलावा, क्रेडिट रिजर्व रेशियो भी 9 फीसदी होना अनिवार्य था. उस समय MDCC बैंक इस योग्यता को पूरा नहीं कर पाया था. तब विधायक का बैंक एक साल के लिए बी-क्लास में पहुंच गया था और क्रेडिट रिजर्व का अनुपात भी 9 प्रतिशत से कम था. 


सैलरी अकाउंट के साथ MDCC में हो सकेंगे ये काम
कैबिनेट फैसले के बाद, सरकारी कर्मचारियों के बैंक खाते खोले जाने के साथ-साथ MDCC में और भी कई काम होंगे. जैसे- सरकारी निगमों के सरप्लस फंड के निवेश भी यहां किए जा सकेंगे. इन सरकारी निगमों में मुंबई महानगर क्षेत्र विकास निगम (MMRDA), शहर और औद्योगिक विकास निगम (CIDCO), महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MHADA), मलिन बस्ती पुनर्वास प्राधिकरण (SRA).


इससे पहले मार्च 2020 में सरकार ने आदेश दिया था कि सभी विभाग अपने सैलरी अकाउंट केवल राष्ट्रीयकृत बैंकों में यानी Nationalized Banks में ही खुलवाएंगे. इसके बाद उसी साल अगस्त और नवंबर में यह फैसला लिया गया कि वेतन खाते सहकारी बैंकों में भी खोले जा सकते हैं. सहकारी बैंकों की यह लिस्ट योग्यता के आधार पर हर साल अपडेट की जाती है. 


इन बैंक के पास सरकार की अनुमति
अक्टूबर 2023 तक जिन जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को सरकारी वेतन खाते खोलने की अनुमति दी गई है, उनमें ठाणे, रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, अहमदनगर, पुणे, सतारा, सांगली, कोल्हापुर, लातूर, अकोला, भंडारा, चंद्रपुर और गढ़चिरौली शामिल हैं. अब महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट मीटिंग में चर्चा के बाद स्पेशल केस के तौर पर MDCC बैंक को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया है. 


महाराष्ट्र के वित्त विभाग की ओर से जानकारी दी गई है कि MDCC को अप्रूवल मिलने से पहले एक छोटी टेक्निकल समस्या थी, जिसमें अब सुधार कर लिया गया है. अब प्रस्ताव के आधार पर मुंबई जिला केंद्रीय सहकारी बैंक को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. 


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