महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी )के नेता अजित पवार के साथ रातोंरात सरकार बनाने के तीन साल बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि इस कवायद को एनसीपी प्रमुख शरद पवार का समर्थन प्राप्त था. उन्होंने कहा कि हमारे पास एनसीपी की ओर से प्रस्ताव आया था कि उन्हें एक स्थिर सरकार की जरूरत है और हमें मिलकर ऐसी सरकार बनानी चाहिए. हमने आगे बढ़ने और बातचीत करने का फैसला किया. बातचीत शरद पवार से हुई. फिर चीजें बदल गईं. आपने देखा है कि चीजें कैसे बदलीं.


देवेंद्र फडणवीस ने एक निजी समाचार चैनल की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा, मैं पूरी ईमानदारी से कहना चाहता हूं कि अजित पवार ने मेरे साथ ईमानदारी से शपथ ली. लेकिन बाद में उनकी (एनसीपी) रणनीति बदल गई.


शरद पवार ने देवेंद्र फडनवीस की बात को झूठ बताया


फडणवीस की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शरद पवार ने कहा कि मुझे लगा कि देवेंद्र एक संस्कारी व्यक्ति और सज्जन व्यक्ति हैं. मुझे कभी नहीं लगा कि वह झूठ का सहारा लेंगे और इस तरह का बयान देंगे. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत हासिल की थी, जिसके नतीजे 24 अक्टूबर, 2019 को घोषित हुए थे. बीजेपी के साथ गठबंधन में रही शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत हासिल की थी. एक साथ सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें होने के बावजूद, दोनों सहयोगियों ने सत्ता-बंटवारे पर विवाद किया. मुख्यमंत्री का पद किसे मिलेगा विवाद का मुख्य विषय था, जिसके फलस्वरूप शिवसेना ने बीजेपी के बजाय वैचारिक रूप से अलग कांग्रेस और एनसीपी के साथ बातचीत शुरू कर दी.


उद्धव ठाकरे को एनसीपी और कांग्रेस ने सर्वसम्मति से नेता चुना


जब कोई नतीजा नहीं निकला तो  केंद्र सरकार ने 12 नवंबर को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया. शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने गठबंधन बनाने के लिए बातचीत जारी रखी और बाद में शरद पवार ने घोषणा की कि उद्धव ठाकरे को सर्वसम्मति से नई सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है. इस तरह, 23 नवंबर को सुबह-सुबह फडणवीस और अजित पवार का शपथ ग्रहण समारोह एक आश्चर्य के रूप में सामने आया.


तीन दिन चली थी देवेंद्र फडणवीस की सरकार


महाराष्ट्र केसबसे बड़े राजनीतिक आश्चर्य में से एक, तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई. ये सरकार तीन दिन तक चली, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.


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