Maharashtra News: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि सरकार मराठा आरक्षण के लिए आम सहमति बनाते समय यह सुनिश्चित करेगी कि ओबीसी समुदाय के साथ कोई अन्याय न हो. फडणवीस ने कहा, राज्य ऐसा कोई निर्णय नहीं लेगा जिससे दोनों समुदायों के बीच टकराव पैदा हो. कोटा मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा, “मराठा आरक्षण जैसे कुछ मुद्दों को राजनीति से परे देखना महत्वपूर्ण है. सभी को इस मुद्दे को सामाजिक नजरिये से देखना चाहिए. प्राथमिक लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि मराठा समुदाय की मांगों को आम सहमति से संबोधित किया जाए. पर्याप्त विचार-विमर्श के माध्यम से राज्य सरकार इस मुद्दे को तार्किक अंत तक ले जाने के लिए आम सहमति बनाना चाहती है.


क्या बोले देवेंद्र फडणवीस?
आरक्षण के मुद्दे पर अपने अनिश्चितकालीन अनशन को आगे बढ़ाने के लिए पानी छोड़ने की मराठा कार्यकर्ता मनोज जरासंगे पाटिल की हालिया 'धमकी' पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, उपमुख्यमंत्री ने कहा, ''सीएम एकनाथ शिंदे ने पहले ही चर्चा करके इस मुद्दे को हल करने के लिए कदम उठाए हैं.


उन्होंने आगे कहा, “मराठा आरक्षण पर निर्णय लेते समय राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह कानूनी और संवैधानिक वैधता पर कायम रहे. यदि राज्य सरकार मराठा समुदाय को खुश करने के लिए जल्दबाजी में कोई निर्णय लेती है और यदि इसे अदालत में चुनौती दी जाती है, तो यह एक झटका होगा. आरक्षण देते समय, सकारात्मक परिणाम सुनिश्चित करने के लिए कई पहलुओं को ध्यान से ध्यान में रखना होगा.”


आपको बता दें कि जारांगे पाटिल ने मांग की है कि मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाए, जिससे वे ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ उठा सकें. कार्यकर्ता ने आगे मांग की कि दस्तावेजीकरण के माध्यम से वंश साबित करने की शर्त को हटा दिया जाए. ओबीसी नेताओं से कोई अप्रिय बयान न देने की अपील करते हुए फडणवीस ने कहा, “मैं उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूं कि राज्य सरकार ओबीसी के खिलाफ कोई अन्याय नहीं होने देगी. ओबीसी नेताओं और संगठनों को भी सावधान रहना चाहिए कि वे ऐसा कोई बयान या कार्रवाई न करें जिससे दोनों समुदायों के बीच टकराव हो.


उन्होंने आगे कहा, “समुदायों के बीच कोई भी टकराव समाज के लिए अच्छा नहीं है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर मुद्दा, चाहे वह कितना भी जटिल क्यों न हो, बातचीत और आम सहमति से सौहार्दपूर्ण ढंग से हल हो जाए.'' वर्तमान में, महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मात्रा 52 प्रतिशत है, जिसमें से 19 प्रतिशत ओबीसी समुदाय के लिए आरक्षित है.


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