अजित पवार ने 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे का किया विरोध, अब देवेंद्र फडणवीस ने कह दी बड़ी बात
Maharashtra Election 2024: 'बंटेंगे तो कटेंगे' के नारे पर अजित पवार ही नहीं बल्कि बीजेपी के अशोक चव्हाण और पंकजा मुंडे ने भी आपत्ति जताई.
'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे पर महाराष्ट्र में सियासी बयानबाजी जारी है. यूपी के सीएम योगी आदित्यानाथ ने इसका बार-बार इस्तेमाल किया. महाराष्ट्र में भी ये नारा सुनने को मिला. लेकिन बीजेपी के सहयोगी और यहां तक की महाराष्ट्र बीजेपी के नेताओं ने ही इस पर आपत्ति जता दी. इस पर डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की भी प्रतिक्रिया सामने आई.
देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार (14 नवंबर) को कहा कि उनकी पार्टी का नारा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ महाराष्ट्र विकास आघाडी (एमवीए) के चुनाव प्रचार अभियान के जवाब में गढ़ा गया है. उन्होंने दावा किया कि उनके सहयोगियों अशोक चव्हाण और पंकजा मुंडे के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री अजित पवार इसके ‘मूल’ अर्थ को समझने में विफल रहे.
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बार-बार इस्तेमाल किए जाने वाले इस नारे ने विपक्ष को इसकी निंदा करने के लिए एकजुट कर दिया है. विपक्ष का दावा है कि इस नारे के सांप्रदायिक निहितार्थ हैं, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ नेताओं ने भी इस पर आपत्ति जताई है.
मुंबई में मीडिया से बातचीत के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ (विभाजन से विनाश होगा) कांग्रेस नीत महा विकास आघाडी के विभाजनकारी चुनाव प्रचार अभियान के जवाब में गढ़ा गया नारा है, इस नारे का मूल संदेश यह है कि ‘‘सभी को एक साथ रहना होगा.’’
फडणवीस ने कहा, ‘‘इस नारे का मतलब यह नहीं है कि हम मस्लिमों के खिलाफ हैं. हमने यह नहीं कहा कि लाडकी बहिन योजना का लाभ मुस्लिम महिलाओं को नहीं दिया जाएगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ भी कांग्रेस और एमवीए की तुष्टिकरण (राजनीति) का जवाब है. उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान ‘वोट जिहाद’ का प्रयोग किया और मस्जिदों में पोस्टर लगाए गए, जिसमें लोगों से एक विशेष पार्टी को वोट देने का आग्रह किया गया. यह किस तरह की धर्मनिरपेक्षता है.’’
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