Maharashtra Politics: शरद पवार की सहमती से राष्ट्रपति शासन लगाने के दावे पर देवेंद्र फडणवीस की पहली प्रतिक्रिया, जानिए क्या कहा?
Devendra Fadnavis Reaction: कल डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने ये दावा किया था कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन एनसीपी चीफ शरद पवार की सहमती के बाद ही लगा था. इसपर आज उन्होंने क्या कहा है आप भी जानिए.
Devendra Fadnavis on Sharad Pawar: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अपने एक बयान पर प्रतिक्रिया दी है. अपने इस दावे पर कि 2019 के चुनाव के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार की सहमति से महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता देवेंद्र प्रधान कहते हैं, "मैंने जो खुलासा किया है वह बिल्कुल सही है. उस समय वह (एनसीपी प्रमुख शरद) ने कहा था कि (महाराष्ट्र में) राष्ट्रपति शासन लगने दीजिए. मैंने जो बातें कही हैं, वे सच हैं...''
देवेंद्र फडणवीस का दावा
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष शरद पवार की सहमति से 2019 में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. हालांकि, एनसीपी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता के बयान को खारिज करते हुये इसे ‘आधारहीन’ करार दिया. उपमुख्यमंत्री यहां ‘‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव’’ में एनसीपी के साथ अल्पकालिक सरकार बनाने के उनके प्रयास के समय को लेकर किए गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे. महाराष्ट्र में 2019 के चुनावों के बाद एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 23 नवंबर 2019 को फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई थी.
राष्ट्रपति शासन लगाने का विचार किसका था?
हालांकि, वह सरकार लगभग 72 घंटे बाद गिर गई. फडणवीस ने बुधवार को कहा, ‘‘प्रदेश में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद, हम शरद पवार के साथ सरकार गठन पर चर्चा कर रहे थे. हमने विभागों के बंटवारे और प्रभारी मंत्रियों की जिम्मेदारियों को भी अंतिम रूप दे दिया था. लेकिन पवार ने (अपना) रुख बदल लिया और पीछे हट गए.’’ उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला पवार की सहमति से ही लिया गया था. महाराष्ट्र विधानसभा के लिए 2019 में हुए चुनाव में बीजेपी ने 288 में से 105 सीटें जीतीं थी, और बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली. हालांकि, मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए विवाद के बाद शिवसेना गठबंधन से अलग हो गया. इसके उपरांत प्रदेश में उपजे राजनीतिक गतिरोध के चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था.