Mumbai-Nagpur Samridhi Expressway: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को कहा कि मुंबई-नागपुर समृद्धि एक्सप्रेसवे के अधिकारों के प्रतिभूतिकरण (Securitisation) से महाराष्ट्र को 50,000 करोड़ रुपये की कमाई होगी, जिसे मोटे तौर पर बिक्री कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसके निर्माण से राज्य पर वित्तीय बोझ कम होगा. लगभग 55000 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा रहा 701 किलोमीटर लंबा  यह 6 लेन का एक्सप्रेस वे 10 जिलों से होकर गुजरता है.  इसके 520 किलोमीटर लंबे नागपुर से शिरडी खंड का उद्घाटन पिछले साल दिसंबर में किया गया था.


'कर्ज उतारने के लिए होगा इस पैसे का इस्तेमाल'


एक मराठी मीडिया चैनल के कार्यक्रम में बोलते हुए सीएम फडणवीस ने कहा कि  एक्सप्रेस वे के अधिकारों के प्रतिभूतिकरण से महाराष्ट्र सरकार को  50 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे. इस पैसे का इस्तेमाल सरकार इस एक्सप्रेस वे को बनाने के लिए लिए गए कर्जे को चुकाने के रूप में करेगी. इसके अलावा सरकार अन्य मामलों में भी इस पैसे का इस्तेमाल करेगी.


FDI आकर्षित करने में पिछड़ गया है महाराष्ट्र, सवाल पर क्या बोले फडणवीस


इस सवाल पर कि महाराष्ट्र अन्य राज्यों के मुकाबले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने में पीछे रहा है, डिप्टी सीएम ने कहा कि 2014-19 तक मेरे सीएम रहते महाराष्ट्र में FDI अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं ज्यादा था. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र कुछ समय से स्टार्ट अप और वित्तीय प्रौद्योगिकी फर्मों को आकर्षित करने में बेंगलुरु से पीछे रहा है.


उन्होंने जोर देकर कहा कि हालांकि एक बार मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ने वाले ट्रांस हार्बर ब्रिज (MTHL) और मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे के बाकी बचे भाग के शुरू हो जाने के बाद एक तीसरा मुंबई होगा जो उस क्षेत्र में आ जाएगा. उन्होंने कहा कि ट्रांस हार्बर लिंक और नवी मुंबई में नया एयरपोर्ट कंपनियों के लिए एक अच्छा ईकोसिस्टम प्रदान करेगा. उन्होंने कहा कि अकेले महाराष्ट्र में भारत की 65 प्रतिशत डेटा सेंटर की क्षमता है. उन्होंने कहा कि डेटा को संजोना आज के समय तेल के व्यापार से भी बड़ा काम है.


'राज्य सरकार पर 6 लाख करोड़ का कर्ज'


उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र का जीडीपी  करीब 34 लाख करोड़ रुपए था जो अब 40 लाख करोड़ रुपए की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पर इस समय 6 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है जो कि राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन के अनुसार निर्धारित सीमा के भीतर है.


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