Pandharpur Vitthal Mandir: आज देवशयनी एकादशी है. आज से भगवान श्रीहरि विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते है. आज से चार महीने के लिए शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित हो जाएंगे. बता दें कि आषाढ़ एकादशी के दिन ही पंढरपुर के विठोबा मंदिर में लाखों लोग पूजा के लिए एकत्रित होते हैं. ये दिन वारकरी के महत्वपूर्ण माना जाता है. पंढरपुर की यात्रा आषाढ़ शुक्ल एकादशी से ही होती है.


कहां है मंदिर?
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में पंढरपुर नामक जगह पर भगवान विट्ठल का विठोबा मंदिर है. मंदिर पंढरपुर में होने की वजह से इसे पंढरीनाथ नाम से भी जाना जाता है. भगवान विट्ठल की प्रथम पूजा देवशयनी एकादशी के दिन होती है जिसे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ही करते हैं.  


कौन हैं भगवान विट्ठल?
पंढरपुर में भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान श्रीकृष्‍ण का प्रसिद्ध मंदिर है. इस विठोबा मंदिर में श्रीकृष्ण श्रीहरि विट्ठल रूप में विराजमान हैं. भगवान विट्ठल के साथ लक्ष्मी अवतार माता रुक्मणि की भी यहां पूजा की जाती है.


क्या है भगवान विट्ठल की कथा?
छठीं सदी में पुंडलिक नाम के एक संत हुआ करते थे जो भगवान श्रीकृष्ण को अपना इष्ट देव मानते थे. संत पुंडलिक अपने माता-पिता के भी परम भक्त थे. संत पुंडलिक की भक्ति से खुश होकर भगवान श्रीकृष्ण ने माता रुक्मणी के साथ संत पुंडलिक को दर्शन दिए. इस दौरान संत पुंडलिक अपने पिता की सेवा कर रहे थे तो भगवान श्रीकृष्ण ने जब उन्हें पुकारा तो पुंडलिक ने उन्हें इंतजार करने के लिए कहा और पिता के पैर दबाने में व्यवस्त हो गए. भगवान श्रीकृष्ण ने भी अपने भक्त की आज्ञा का पालन किया और कमर पर दोनों हाथ रखकर पैरों को जोड़कर ईंटों पर खड़े हो गए. ईट पर खड़े होने की वजह से उन्हें भगवान विट्ठल कहा जाने लगा. 


वहीं जब संत पुंडलिक अपने पिता की सेवा कर भगवान श्रीकृष्ण के पास मिलने के लिए आएं तो तब तक उन्होंने मूर्ति का रूप ले लिया था. जिसके बाद संत पुंडलिक भगवान के उस विट्ठल रूप की ही अपने घर में पूजा करने लगे. बाद में पंढरपुर के नाम से प्रसिद्ध हुआ और महाराष्ट्र का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल बन गया.


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