अजित पवार के मंत्री धनंजय मुंडे पर लगा एक और बड़ा आरोप, अब कृषि विभाग में घोटाले का दावा
Dhananjay Munde News: एकनाथ शिंदे की पिछली सरकार में कृषि मंत्री रहे धनंजय मुंडे पर एंटी-करप्शन कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने आरोप लगाया है. उनका कहना है कि विभाग में 88 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है.

Dhananjay Munde News: महाराष्ट्र में सीएम देवेंद्र फडणवीस सरकार में मंत्री धनंजय मुंडे पर एक और गंभीर आरोप लगा है. एंटी-करप्शन कार्यकर्ता अंजलि दमानिया का आरोप है कि पिछली एकनाथ शिंदे सरकार में एनसीपी नेता धनंजय मुंडे के कृषि मंत्री रहते हुए विभाग में 88 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था. इसका जवाब देते हुए मौजूदा सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री मुंडे ने अंजलि दमानिया के आरोपों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित बताया है.
धनंजय मुंडे ने दावा किया कि अंजलि दमानिया ने जिस निविदा प्रक्रिया पर सवाल उठाया है, उसमें कोई अनियमितता नहीं हुई. उनके विभाग ने किसानों को बाजार दर से कम कीमत पर नैनो उर्वरक उपलब्ध कराया था. जानकारी के लिए बता दें कि बीड जिले में सरपंच संतोष देशमुख की हत्या से संबंधित जबरन वसूली मामले में अपने सहयोगी वाल्मिक कराड की गिरफ्तारी को लेकर धनंजय मुंडे पहले से ही आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं.
'ऊंची दरों पर खरीदे गए फर्टिलाइजर'- अंजलि दमानिया
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी की पूर्व नेता अंजलि दमानिया ने दावा किया कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefit Transfer, DBT) के तहत किसानों के बैंक खातों में सीधे धन अंतरित करने के केंद्र सरकार के 2016 के निर्देश के बावजूद, कृषि विभाग ने किसानों के बीच वितरण के लिए उपकरण व उर्वरक ऊंची दरों पर खरीदे.
अंजलि दमानिया ने कथित घोटाले से संबंधित दस्तावेज पेश किए और दावा किया, "ये दस्तावेज इस बात का सबूत हैं कि कैसे मंत्री ने किसानों का पैसा हड़पकर कानूनों का उल्लंघन किया. डीबीटी से संबंधित सरकारी प्रस्ताव (जीआर) के अनुसार, योजना-संबंधी सभी धनराशियां अपना सामान खुद बनाने वाली महाबीज, केवीके और एमएआईडीसी जैसी कुछ सरकारी संस्थाओं को छोड़कर, सीधे किसानों के बैंक खातों में स्थानांतरित की जानी थी. हालांकि, इस नियम की अनदेखी की गई."
अंजलि दमानिया ने 12 सितंबर 2018 के एक जीआर का हवाला दिया, जिसमें डीबीटी के तहत आने वाले 62 घटकों को सूचीबद्ध किया गया था. अंजलि दमानिया ने कहा कि हालांकि, मुख्यमंत्री के पास डीबीटी सूची में नए घटकों को जोड़ने का अधिकार है, लेकिन मौजूदा घटकों को मुख्य सचिव, वित्त सचिव और योजना सचिव की समिति की मंजूरी के बिना हटाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले, राज्य सरकार ने 12 मार्च 2024 को एक नया जीआर जारी किया, जिसमें कृषि सामग्री की खरीद के लिए कृषि आयुक्त को नियंत्रण अधिकारी नियुक्त किया गया.
'तत्कालीन वित्त मंत्री अजित पवार से मांगी थी मंजूरी'- अंजलि दमानिया
कार्यकर्ता ने दावा किया कि तत्कालीन कृषि आयुक्त प्रवीण गेदाम ने 15 मार्च 2024 को चिंता जताई और कहा कि योजना का कार्यान्वयन गलत था. दमानिया के मुताबिक, गेदाम ने बताया कि चूंकि, खरीदी जा रही वस्तुएं महाबीज या एमएआईडीसी द्वारा उत्पादित नहीं की गई थीं, इसलिए इन वस्तुओं को खरीदने के बजाय किसानों को डीबीटी के माध्यम से धनराशि वितरित की जानी चाहिए थी. गेदाम की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
दमानिया ने दावा किया कि 15 मार्च को मुंडे ने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार से कथित तौर पर निविदाएं जारी करने की अनुमति मांगी थी. राकांपा प्रमुख पवार ने अनुरोध को मंजूरी दे दी. तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अधिकार नहीं होने के बावजूद डीबीटी सूची से कुछ घटकों को हटाने की स्वीकृति प्रदान की. मुंडे के अधीन कृषि विभाग पांच वस्तुओं-नैनो यूरिया, नैनो डीएपी, बैटरी स्प्रेयर, मेटलडिहाइड कीटनाशक और कपास बैग की खरीद में बड़ी वित्तीय अनियमितताओं का दोषी था.
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