Dr Payal Tadvi suicide case: 2019 में अपनी जूनियर डॉ पायल तडवी की आत्महत्या को कथित रूप से उकसाने मामले में आरोपी ने अदालत में डिस्चार्ज की मांग करने वाली याचिका दायर की है. याचिका में आरोपी ने दावा किया है कि उसके पास इस बात का खुलासा करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि मृतक तनाव में थी और सामना करने में असमर्थ थी.


काम का दबाव और मानसिक तनाव ने उसे अपनी जान लेने के लिए प्रेरित किया. एक विशेष अदालत ने गुरुवार को अभियोजन पक्ष को 18 अप्रैल को डॉक्टर अंकिता खंडेलवाल और भक्ति मेहरे द्वारा प्रस्तुत याचिकाओं पर जवाब देने का निर्देश दिया. तीसरे आरोपी डॉक्टर हेमा आहूजा ने अब तक आरोपमुक्त करने की याचिका दायर नहीं की है.


अधिवक्ता वैभव जगताप के माध्यम से दायर एक याचिका में खंडेलवाल ने कहा कि उन्हें झूठा फंसाया गया है. उनकी याचिका में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया आत्महत्या के लिए उकसाने और महाराष्ट्र रैगिंग निषेध अधिनियम और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत कोई अपराध नहीं बनता है.


याचिका में कहा गया है, "यह खुलासा करने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि आवेदक ने मृतक द्वारा आत्महत्या के कृत्य में 'जानबूझकर' सहायता की थी."
आरोपी ने आगे कहा कि खंडेलवाल, तडवी और उसके रूममेट के बीच समूह में "व्हाट्सएप" संदेश और "चैट" यह नहीं दर्शाता है कि उसने किसी भी तरह से तडवी को अपमानित किया है.


साल 2019 में तड़वी ने की थी आत्महत्या


डॉ पायल तडवी (26) ने 22 मई, 2019 को अपने छात्रावास के कमरे में फांसी लगा ली थी. आहूजा, महरे और खंडेलवाल पर तडवी को उसकी जाति के कारण रैगिंग, प्रताड़ित करने और परेशान करने का आरोप लगाया गया है - वह अनुसूचित जनजाति तड़वी भील से संबंधित थी. आत्महत्या के कुछ दिनों बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 9 अगस्त, 2019 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी.