Maharashtra News: महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और खानदेश क्षेत्र के कद्दावर नेता एकनाथ खडसे के महायुति गठबंधन सरकार के शपथ ग्रहण के बाद सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस से हमारी कोई दुश्मनी नहीं थी, बल्कि हमने विपक्षी दल होने के नाते विरोधी रुख दिखाया था. खडसे ने संकेत दिए कि वे फडणवीस सरकार के साथ सामंजस्य स्थापित करेंगे क्योंकि उनके व्यक्तिगत रूप से उनके (फडणवीस) साथ अच्छे संबंध हैं.


एबीपी माझा से बातचीत के दौरान एकनाथ खडसे ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले महायुति सरकार द्वारा लाई गई मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना के कारण उन्हें उम्मीद से ज्यादा वोट मिले हैं. 


‘EVM को हटाया जाना चाहिए’
एकनाथ खडसे ने कहा कि हम ईवीएम के खिलाफ नहीं है लेकिन चुनावी नतीजों की वजह से हमें ईवीएम पर संदेह हो रहा है. ईवीएम को हटाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि विपक्षी दल की भूमिका को बखूबी निभाना हमारी जिम्मेदारी है. मेरे संघर्ष करके राजनीति में यहां तक पहुंचा हूं 1990 में मैं विधायक चुना गया था किसी सरकार में नहीं था, मैंने संघर्ष किया सरकार के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाया. 


वहीं अपनी हार को लेकर खड़से ने कहा कि हार तो हार होती है इसलिए मैंने पहले ही दिन रोहिणी खडसे से हार स्वीकार कर ली थी. हम अपने अधिकार बूथों को जानते हैं वहां हमारी बढ़त कम हो जाती है तो संदेह पैदा होने लगता है. उन्होंने कहा कि महाविकास अघाड़ी विपक्षी दल की भूमिका निभाएगी इसमें कोई संदेह नहीं है. हम किसानों की समस्याओं की मांग करते हैं. महायुति ने जो वादे किए थे वो पूरे करें उन्होंने महिलाओं को 2100 रुपये देने का वादा किया था वो भी दें.


बता दें कि इससे पहले लोकसभा चुनाव से पहले एकनाथ खडसे की बीजेपी में वापसी की खबरें भी खूब सुर्खियां बनी थी. उससे कुछ सप्ताह पहले खडसे ने खुद कहा था कि बीजेपी की ओर से उन्हें राज्यपाल बनाने का आश्वासन दिया गया है.


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