Eknath Shinde Govt Invitation To Sharad Pawar: महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे की गठबंधन सरकार ने सियासी विवाद बढ़ने के बाद बारामती में आयोजित कार्यक्रम के लिए शरद पवार (Sharad Pawar) को न्योता भेजा है. एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष को उनके गृहनगर बारामती में आयोजित एक कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं करने पर विवाद पैदा होने के एक दिन बाद, शुक्रवार (1 मार्च) को एक और निमंत्रण भेजा गया, जिसमें शरद पवार का नाम प्रमुखता से शामिल है.
पुणे कलेक्टर ने भी महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ नेता को फोन किया और 2-3 मार्च को आयोजित होने वाले दो दिवसीय 'नमो महारोजगार' मेला में भाग लेने के लिए औपचारिक निमंत्रण दिया. नए निमंत्रण कार्ड में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम शीर्ष स्थान पर है, उनके बाद दूसरे स्थान पर दोनों डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार और तीसरे स्थान पर शरद पवार हैं.
क्या है पूरा विवाद?
बताया जा रहा है कि यह विवाद इसलिए पैदा हुआ क्योंकि रोजगार मेला 52 साल पुराने विद्या प्रतिष्ठान शैक्षणिक परिसर में आयोजित किया जा रहा है, जो एक संस्था है और वर्तमान में इसके अध्यक्ष शरद पवार हैं. इसकी समिति के सदस्यों में उनके पोते युगेंद्र एस.पवार, सुप्रिया सुले, अजीत पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा ए.पवार सहित अन्य शामिल हैं. एनसीपी (शरदचंद्र पवार) नेताओं ने शुक्रवार को कहा कि शरद पवार इस कार्यक्रम में बारामती के निवासी के रूप में जाने और आम नागरिकों के साथ दर्शकों के बीच बैठने की योजना बना रहे हैं.
एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा- “पवार साहब ऐसी राजनीति से बहुत ऊपर हैं. वह इसे बारामती और महाराष्ट्र के युवाओं के लिए एक बड़ा अवसर मानते हैं.”
शरद पवार को किया गया था नजरअंदाज
जॉब फेयर को गुरुवार को उस समय अधिक प्रचार मिला जब शरद पवार ने शिंदे-फडणवीस-अजित पवार को मंत्रिमंडल के साथ विद्या प्रतिष्ठान गेस्ट हाउस में "चाय पे चर्चा" के लिए आमंत्रित किया और रात्रिभोज के लिए अपने आवास पर तीनों की उपस्थिति का भी आग्रह किया. निमंत्रण को व्यक्तिगत टच देते हुए, पवार ने एकनाथ शिंदे को फोन भी किया. पवार की 'डिनर डिप्लोमेसी' और इससे पैदा हुए तूफान को देखते हुए, सरकार में शामिल पार्टियों के किसी भी बड़े नेता ने इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं की. शरद पवार को नजरअंदाज करने के लिए सरकार को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा और नाना पटोले, सुप्रिया सुले, डॉ. जितेंद्र अवहाद, डॉ. अमोल कोल्हे, रोहित आर. पवार, क्लाइड क्रैस्टो और संजय राउत सहित विपक्षी महा विकास अघाड़ी के शीर्ष नेताओं ने इसकी आलोचना की.
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