Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले एकनाथ शिंदे सरकार मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना की तर्ज पर उत्तर भारतीय लाडली बहन और लाडला भाई योजना शुरू करेगी. सरकार के मुताबिक मुंबई में रहने वाले उत्तर भरतीय महिलाओं को अधिक से अधिक योजना का लाभ मिले, इसके लिए मुंबई के जिन इलाकों में उत्तर भारतीय ज्यादा जनसंख्या में रहते हैं वहां अवेयरनेस प्रोग्राम रखा जाएगा. ये अलग से योजना नहीं है. मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना का ही हिस्सा है.


वहीं मुख्यमंत्री माझी लाड़की योजना को लेकर शिवसेना नेता संजय निरुपम ने दावा किया कि महाराष्ट्र की महिलाओं के लिए माझी लाड़की योजना की शुरुआत की थी. योजना के अंतर्गत कई आवेदन हमे मिला है. रोजाना 7- 8 लाख लोग आवेदन कर रहे है. प्रति मिनट 650 आवेदन हमे मिल रहा है.


उन्होंने कहा, "ये महाराष्ट्र की पहली ऐसी योजना है कि जिसमें दूसरे राज्य से आए हुए महिलाओं को योजना का लाभ मिलेगा. मुंबई सबर्ब में अब तक करीब 3.5 लाख महिलाओं ने आवेदन किया है. विपक्ष से निवेदन है कि योजना को लेकर जनता के बीच गलत जानकारी ना फैलाए. ये आने वाले दिनों में गेम चेंजर साबित होगी."


संजय निरुपम ने ये भी दावा किया कि अब तक एक करोड़ 30 लाख ऑनलाइन आवेदन मिला है. 50 लाख ऑफलाइन निवेदन दिया गया है. योजना के पहले चरण में 35 हजार करोड़ का फंड का प्रोविजन किया गया है. आवेदन करने में पुणे पहले नंबर पर है. कोल्हापुर दूसरे नंबर पर है.


शिवसेना नेता ने कहा कि मुंबई में भी लाखों के संख्या में महिलाओं ने आवेदन किया है. योजना का लाभ लेने के लिए विवाहित महिला सबसे आगे है. उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे 'प्राण जाए पर वचन न जाए' वाले बात को मनाने वाले नेता हैं.


संजय निरुपम ने आगे कहा कि राजस्थान सरकार ने भी राजस्थान की जनता के लिए कल्याणकारी योजना का ऐलान किया था. कुल पांच गारंटी देने का ऐलान किया गया था, लेकिन अशोक गहलोत इस योजना को लागू नहीं कर पाए और जब उनसे पूछा गया कि आप ये योजना लागू क्यों नहीं कर पा रहे हैं तो उन्होंने कहा कि उन्हें केंद्र सरकार से मदद नहीं मिल पा रहा है. महाराष्ट्र सरकार केंद्र सरकार से मदद नहीं ले रही है.


उन्होंने कहा कि रक्षा बंधन से दो दिन पहले योजना की पहली दो किस्त महाराष्ट्र की बहनों को भेज दी जाएगी. ये मुख्यमंत्री का ऐलान है. ये कांग्रेस की खटाखट योजना नहीं है. इसलिए विपक्ष द्वारा फैलाएं जा रहे दुष्प्रचार से बचें. इस योजना पर हर साल लगभग 45 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. 45 हजार करोड़ रुपये में से 35 हजार करोड़ रुपये एलोकेट कर दिए गए हैं.


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