Eknath Shinde on Maharashtra Politics: शिवसेना के एक धड़े का नेतृत्व करने वाले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी न्यायपालिका में भरोसा करती है. उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से संबंधित मामले में अपना फैसला गुण-दोष के आधार पर करेगा. हालांकि, शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे - यूबीटी) के नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने कहा कि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली पार्टी असल शिवसेना है और सुप्रीम कोर्ट जब 21 फरवरी को मामले में सुनवाई करेगा तो सच्चाई की जीत होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के दो धड़े बनने के बाद महाराष्ट्र में जून 2022 में पैदा हुए सियासी संकट संबंधी याचिकाओं को 2016 के नबाम रेबिया फैसले की समीक्षा के लिए सात जजों की पीठ को भेजने से शुक्रवार को इनकार कर दिया.
सीएम शिंदे ने कहा न्यायपालिका भरोसा
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि 21 फरवरी को इस बात पर गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा कि विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों पर 2016 के फैसले में संदर्भ की आवश्यकता है या नहीं. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि हमें न्यायपालिका में भरोसा है. हमें उम्मीद है कि फैसला गुण-दोष के आधार पर किया जाएगा. हमारी बहुमत की सरकार है और इसका गठन वैधानिक रूप से हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष मामले में सुनवाई लंबा करने के लिए इसे बड़ी पीठ को भेजना चाहता है.
संजय राउत ने कहा न्याय मिलेगा
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि लोकतंत्र में बहुमत का महत्व होता है और हमारी सरकार इसी आधार पर बनी है. हम लोगों के जनकल्याण के लिए काम कर रहे हैं. संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि जब सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी तो सच की जीत होगी और न्याय मिलेगा. उन्होंने कहा कि सरकारों और राजनीतिक पार्टियों को धन-बल के इस्तेमाल के जरिए अस्थिर नहीं किया जा सकता है. हम एक स्वच्छ राजनीतिक तंत्र चाहते हैं. लोकसभा में शिंदे गुट के नेता राहुल शेवाले ने कहा कि ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना का कानूनी रुख कमजोर है. उन्होंने कहा कि वे मामला बढ़ाना चाहते हैं. लेकिन उनका रुख कमजोर है.
राहुल शेवाले ने आरोप लगाया कि शिवसेना (यूबीटी) का लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास नहीं है और वह न्यायपालिका में भरोसा नहीं करती है. उन्होंने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और भारत निर्वाचन आयोग में मामले को लंबा खींचने के लिए यह सब कुछ किया जो वे कर सकते थे. 2016 में पांच-जजों की संविधान पीठ ने अरुणाचल प्रदेश के नबाम रेबिया मामले का फैसला करते हुए कहा था कि अगर विधानसभा अध्यक्ष को हटाने की पूर्व सूचना सदन के समक्ष लंबित है तो विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता की याचिका पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं.
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