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CM से डिप्टी CM बनने वाले एकनाथ शिंदे ने राजनीति में कैसे बनाई अपनी जगह? पढ़ें दिलचस्प सफर

Eknath Shinde News: एकनाथ शिंदे ने एक रिक्शा चालक से लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का सफर तय करते हुए राज्य की प्रमुख हस्तियों में अपनी जगह बनाई. आज राज्य की जनता उन्हें 'लाडका भाऊ' कहकर बुलाती है.

Eknath Shinde Political Journey: महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ी पहचान रखने वाले एकनाथ शिंदे ने नई सरकार में डिप्टी सीएम पद की कमान संभाली है. एकनाथ शिंदे ने केवल मौजूदा उप मुख्यमंत्री हैं, बल्कि पिछली सरकार में राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और शिवसेना के प्रमुख भी हैं. साल 2022 में अविभाजित शिवसेना से बगावत करने वाले सीनियर नेता एकनाथ संभाजी शिंदे ने महाराष्ट्र में एक तेजतर्रार और कर्मठ नेता की छवि हासिल की है. 

60 वर्षीय एकनाथ शिंदे ने गुरुवार (5 दिसंबर) को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली नई सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके कुछ उत्साही समर्थक भले ही इसे 'डिमोशन' बता रहे हों, लेकिन कभी ऑटो-रिक्शा चालक रहे शिंदे ने इस बार के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के बेहतरीन प्रदर्शन के जरिए खुद को शिवसेना की विरासत का उत्तराधिकारी साबित कर दिया है.

विधानसभा चुनाव में शिवसेना की बड़ी जीत
नवंबर 2024 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एकनाथ शिंदे ठाणे जिले के कोपरी-पचपखाड़ी से विधायक चुने गए और उन्होंने पार्टी को भी शानदार जीत दिलाई. शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 81 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से 57 पर जीत हासिल की. वहीं, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली प्रतिद्वंद्वी शिवसेना (उबाठा) का प्रदर्शन बहुत खराब रहा और वह केवल 20 सीट जीत सकी.

बतौर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने लिए कई बड़े फैसले
मुख्यमंत्री के अपने कार्यकाल (30 जून 2022 से 4 दिसबंर 2024) में एकनाथ शिंदे ने हमेशा उपलब्ध रहने वाले नेता के तौर पर छवि बनाई और मुंबई तटीय सड़क, मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (अटल सेतु, मेट्रो रेल, नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग और धारावी पुनर्विकास जैसी बड़ी परियोजनाओं को आगे बढ़ाया.

महाराष्ट्र के 'लाडका भाऊ' बन गए एकनाथ शिंदे
विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महागठबंधन की प्रचंड जीत में शिंदे की महत्वपूर्ण भूमिका रही और उनकी सरकार द्वारा महिलाओं के लिए लाई गई 'लाडकी बहिन योजना' पासा पलटने वाली साबित हुई. यह योजना महिलाओं के बीच इतनी लोकप्रिय हुई कि शिवसेना नेता को 'लाडका भाऊ' भी कहा जाने लगा.

उद्धव ठाकरे से बगावत का लिया रिस्क, फिर खुद को किया साबित
ठाणे जिले से अपना राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले शिवसेना नेता की सबसे बड़ी खूबी लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं तक उनकी पहुंच थी. उन्होंने जून 2022 में मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत की तो उनका यह कदम अपने राजनीतिक करियर को खतरे में डालने वाला प्रतीत हुआ, लेकिन ढाई साल बाद वह बेहद मजबूत होकर उभरे.

एकनाथ शिंदे ने खुद को न केवल सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में महत्वपूर्ण नेता के रूप में स्थापित किया, बल्कि महाराष्ट्र की बेहद प्रभावशाली हस्तियों में भी शुमार हुए.

शिंदे ने जनता के मुद्दों को हमेशा दी प्रमुखता
कभी मुंबई से सटे ठाणे शहर में ऑटो चालक के रूप में काम करने वाले शिंदे ने राजनीति में कदम रखने के बाद बेहद कम समय में ठाणे-पालघर क्षेत्र में शिवसेना के प्रमुख नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई. उन्हें जनता से जुड़े मुद्दों को आक्रामक तरीके से उठाने के लिए जाना जाता था.

एकनाथ शिंदे का जन्म 9 फरवरी 1964 को हुआ था. ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी होने से पहले ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और राज्य में उभर रही शिवसेना में शामिल हो गए. मूलरूप से पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा जिले से ताल्लुक रखने वाले शिंदे ने ठाणे जिले को अपना कार्यक्षेत्र बनाया. पार्टी की हिंदुत्ववादी विचारधारा और बाल ठाकरे के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर शिंदे ने शिवसेना का दामन थाम लिया.

'बाल ठाकरे का हमेशा ऋणी रहूंगा'- एकनाथ शिंदे
शिवसेना प्रमुख कहते हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी तरक्की के लिए वह शिवसेना और इसके संस्थापक, दिवंगत बाल ठाकरे के ऋणी हैं. शिवसेना में शामिल होने के बाद उन्हें पार्टी के मजबूत नेता आनंद दिघे का मार्गदर्शन मिला. 2001 में दिघे की आकस्मिक मृत्यु के बाद उन्होंने ठाणे-पालघर क्षेत्र में पार्टी को मजबूत किया.

एकनाथ शिंदे के बेटे हैं लोकसभा सांसद
शिंदे 1997 में ठाणे नगर निगम में पार्षद चुने गए थे और इसके बाद वह 2004 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर पहली बार विधायक बने. 2005 में उन्हें शिवसेना का ठाणे जिला प्रमुख बनाया गया. शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे कल्याण सीट से लोकसभा सदस्य हैं. शिंदे को साल 2014 में कुछ समय के लिए राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया था. शिवसेना द्वारा देवेंद्र फडणवीस मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने के फैसले के बाद उन्होंने यह पद संभाला.

एकनाथ शिंदे के प्रभाव में तब इजाफा हुआ जब साल 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने बीजेपी के साथ हाथ मिलाया और देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बनाई, जिसमें वह मंत्री रहे. एकनाथ शिंदे तत्कालीन मुख्यमंत्री फडणवीस (2014-19) के करीब आए और उनकी घनिष्ठता चर्चा का विषय बन गई और ठाणे नगर निगम को छोड़कर, बीजेपी ने 2016 में शिवसेना के खिलाफ महाराष्ट्र के सभी नगरीय निकायों के चुनाव लड़े.

जमीन से जुड़े नेता कहे जाते हैं एकनाथ शिंदे
जब शिवसेना ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया और 2019 के अंत में एनसीपी (तब अविभाजित एनसीपी) और कांग्रेस के साथ महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार बनाई तो भी वह कैबिनेट मंत्री बने. कोविड-19 महामारी के दौरान, एनसीपी के पास स्वास्थ्य मंत्रालय होने के बावजूद, शिंदे-नियंत्रित महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम ने कोरोना वायरस के रोगियों के इलाज के लिए मुंबई और उसके उपनगरों में स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए. शिंदे को जमीन से जुड़ा नेता माना जाता है, क्योंकि वह पार्टी कार्यकर्ताओं और सहकर्मियों के लिए हमेशा उपलब्ध रहते हैं.

यह भी पढ़ें: एकनाथ शिंदे या अजित पवार, किसे ज्यादा मंत्रालय देगी BJP? फॉर्मूला लगभग तैयार

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