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जिस पर लग रहे हैं कयास, क्या सीएम एकनाथ शिंदे को दिख गई उसमें सच्चाई? तस्वीर जूम करके देखिए

तस्वीर वायरल होने के बाद कुछ लोग शिंदे को बेहद गुस्से में बता रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि महाराष्ट्र की सियासत में दिल्ली हाईकमान के असर को शिंदे देख रहे हैं.

पुणे हवाईअड्डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में आए अजित पवार और एकनाथ शिंदे की एक तस्वीर सुर्खियों में है. वायरल हो रहे तस्वीर में शिंदे के एक्शन से कई सवाल भी उठ रहे हैं. यह तस्वीर अजित पवार ने अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से शेयर की है.

वायरल तस्वीर में जब प्रधानमंत्री मोदी अजित पवार से हाथ मिला रहे हैं, तो उस वक्त शिंदे के हाव-भाव बदले हुए नजर आ रहे हैं. ट्विटर पर ही कुछ लोग शिंदे को बेहद गुस्से में बता रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि महाराष्ट्र की सियासत में दिल्ली हाईकमान के असर को शिंदे देख रहे हैं. 

दरअसल, अजित गुट के एनडीए में शामिल होने के बाद से ही एकनाथ शिंदे का खेमा असहज बताया जा रहा है. शिंदे कैंप ने अजित गुट को मंत्रिमंडल में शामिल करने का भी विरोध जताया था. हालांकि, बीजेपी की वजह से एनसीपी 9 नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया गया.

इधर, अजित को चाचा शरद पवार का साथ जिस तरह मिल रहा है, उससे यह चर्चा भी तेज हो गई है कि क्या शिंदे को साइड लाइन करने के लिए कोई स्क्रिप्ट तो नहीं लिखी गई है?

अजित का साथ और शिंदे गुट पर नकेल, 5 प्वॉइंट्स...

1. अजित पवार के साथ आने के बाद कैबिनेट में शामिल होने का इंतजार कर रहे शिंदे गुट के नेताओं के अरमानों पर फिलहाल पानी फिर गया है. महाराष्ट्र में अब नए सिरे से कैबिनेट विस्तार का फॉर्मूला तय किया जा रहा है.

2. शिंदे गुट के विरोध के बावजूद अजित कैंप को महाराष्ट्र सरकार में वित्त और सहकारिता जैसे विभाग मिले. 2022 में शिंदे गुट ने अजित के हाथों में वित्त होने की वजह से ही सरकार से बगावत किया था. 

3. विधानपरिषद् की 12 सीटों पर राज्यपाल कोटे से मनोयन होना है. पहले 6 बीजेपी और 6 शिंदे गुट को मिलने की चर्चा थी, लेकिन अब फॉर्मूला बदल गया है. बीजेपी 6 और अजित-शिंदे को 3-3 सीटें मिलने की चर्चा है.

4. अजित पवार ने 15 लोकसभा सीटों पर दावा ठोक दिया है. पहले कहा जा रहा था कि 28 पर बीजेपी और 20 पर शिंदे गुट चुनाव लड़ेगी, लेकिन अब नए समीकरण में शिंदे गुट को 10-12 सीटें ही मिलने की संभावनाएं है.

5. बताया जाता है कि पूरा विवाद शिंदे गुट के एक पोस्टर से शुरू हुआ, जिसमें लिखा गया था कि देश में नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे नेता हैं. हालांकि, बाद में इस पोस्टर को शिंदे गुट ने कार्यकर्ताओं की इच्छा बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश भी की.

शिंदे को कंट्रोल करने के लिए लिखी गई है स्क्रिप्ट?
सियासी गलियारों में यह सवाल लंबे वक्त से पूछा जा रहा है. हालांकि, बीजेपी एक बात बार-बार दोहरा रही है कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया जाएगा. इसी बीच शरद पवार के हालिया एक्शन ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. 

जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम से एक सवाल केंद्र में आ गया है कि क्या एनसीपी में बगावत की स्क्रिप्ट सीनियर पवार ने खुद लिखी थी? और हां, तो क्या शिंदे को सियासी ठिकाना लगाना इसका मकसद था?

सीनियर पवार के 4 एक्शन, जिसने उठाया सवाल?

1. बगावत के बाद अजित गुट से बंद कमरे में बात- अजित के नेतृत्व में एनसीपी के बड़े नेताओं ने एकसाथ बगावत कर एनडीए का दामन थाम लिया. शुरुआत में सीनियर पवार ने बागियों पर कार्रवाई की बात कही, लेकिन कुछ दिन बाद ही बागियों से बंद कमरे में बातचीत को राजी हो गए.

अजित गुट और शरद पवार के साथ 2 दिन बंद कमरे में बातचीत हुई. बंद कमरे की मीटिंग में किन बातों पर चर्चा हुई, इस पर सीनियर पवार ने बाहर आकर कोई बयान नहीं दिया. उल्टे अजित गुट ने मीटिंग के बाद साहेब के साथ होने का संकेत कार्यकर्ताओं को दे दिया. 

जानकारों का कहना है कि एनसीपी से पहले शिवसेना में भी बगावत हुई, लेकिन उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे गुट के साथ बंद कमरे में कभी बातचीत नहीं की. इतना ही नहीं, उद्धव अब तक शिंदे से सार्वजनिक जगह पर मिले भी नहीं हैं. 

2. अजित के खिलाफ विरोध के स्वर थमे, तस्वीरें भी नहीं हटी- एनसीपी में बगावत के बाद सीनियर पवार ने पूरे राज्य में अजित और बाकी बागियों के खिलाफ रैली निकालने की बात कही थी. शुरू में पवार नासिक में एक रैली किए भी, लेकिन बाद में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया.

इतना ही नहीं, एनसीपी के दफ्तर से अजित की तस्वीरें भी अब तक नहीं हटी है. पार्टी नेताओं का कहना है कि ऊपर से स्पष्ट आदेश नहीं आने की वजह से फैसला नहीं लिया गया है. हाल ही में शरद पवार के साथ शामिल विधायकों ने अजित गुट पर सख्त कार्रवाई की मांगी की थी.

विधायकों का कहना था कि शरद पवार अगर कार्रवाई नहीं करेंगे, तो मैसेज गलत जाएगा. हालांकि, सीनियर पवार ने अब तक अपने करीबी विधायकों की मांग पर कोई अमल नहीं किया है. 

3. सांसदों पर कार्रवाई को लेकर चुप्पी- लोकसभा में एनसीपी के 5 सांसद हैं, जबकि राज्यसभा में 4. शरद पवार को लोकसभा के 4 सांसदों का साथ मिला है, जबकि अजित के साथ सिर्फ एक सांसद सुनील तटकरे हैं. इसी तरह राज्यसभा में शरद के साथ 3 और अजित के साथ एक सांसद हैं.

शरद पवार लोकसभा सांसद सुनील तटकरे और राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल पर सांगठनिक कार्रवाई कर चुके हैं, लेकिन सदस्यता रद्द से संबंधित कार्रवाई की सिफारिश अब तक नहीं की है. सबकी नजर दिल्ली अध्यादेश पर है. 

दिल्ली अध्यादेश पर शरद पवार आप के साथ है, जबकि अजित गुट बीजेपी के साथ.

4. बीजेपी पर आरोप, लेकिन मोदी के साथ मंच शेयर- एनसीपी तोड़ने का आरोप शरद पवार ने बीजेपी पर लगाया, लेकिन सियासी एक्सपर्ट उस वक्त चौंक गए, जब खुद पवार प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा करने पुणे पहुंच गए. 

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) शरद पवार को मंच पर न जाने के लिए कहती रही, लेकिन पवार नहीं माने. इतना ही नहीं, पवार ने अंतिम वक्त में कांग्रेस नेताओं को मिलने का वक्त भी नहीं दिया.

शिवसेना (यूबीटी) ने अपने मुखपत्र के जरिए निशाना भी साधा है. सामना में कहा गया है कि शरद पवार अगर प्रधानमंत्री से नहीं मिलते तो यह ज्यादा बेहतर होता. जानकारों का कहना है कि पवार ने मोदी के साथ मंच शेयर कर उनको लेकर लग रही अटकलों को और मजबूत कर दिया है.

शरद पवार के स्क्रिप्ट से मात खा गए थे फडणवीस?
2019 में महाराष्ट्र चुनाव का परिणाम आया, तो किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी से नाता तोड़ लिया. सरकार नहीं बनने की स्थिति में राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी. इसी बीच एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस में गठबंधन का खाका तैयार हो गया.

हालांकि, सरकार बनाने में काफी अड़चनें थीं. अगर महाविकास अघाड़ी सीधे सरकार बनाने का दावा करती तो, शायद ही जल्दी राष्ट्रपति शासन राज्य से हटता. ऐसे में चाचा शरद ने भतीजे अजित को बीजेपी खेमे में भेज दिया. 

देवेंद्र फडणवीस के दावों के मुताबिक शरद पवार राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाना चाहते थे, जिससे महाविकास अघाड़ी की सरकार आसानी से बन सके. अजित का साथ पाते ही बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा ठोक दिया. 

आनन-फानन में राष्ट्रपति शासन हटाया गया और रातों-रात फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा दी गई. फडणवीस के साथ अजित डिप्टी सीएम बनाए गए, लेकिन जब विश्वास मत हासिल करने का वक्त आया तो अजित ने इस्तीफा दे दिया.

बहुमत न देख फडणवीस को भी इस्तीफा देना पड़ा. इसके तुरंत बाद महाविकास अघाड़ी ने सरकार बनाने का दावा कर दिया. फडणवीस के इस आरोप पर एक बार शरद पवार ने कहा था कि मुझे विकेट दिखा, तो मैंने गुगली मार दी.

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