Maharashtra: चाचा पर भतीजा भारी! अजित पवार के पास NCP के कितने विधायकों का समर्थन? EC के सामने कर दिया खुलासा
Maharashtra Politics: निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा कर रहे शरद पवार और अजित पवार के नेतृत्व वाले दोनों गुटों से उनका पक्ष जाना.
Delhi News: निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा कर रहे शरद पवार और अजित पवार के नेतृत्व वाले दोनों गुटों से उनका पक्ष जाना. एनसीपी के संस्थापक शरद पवार निर्वाचन आयोग द्वारा दोनों गुटों की हुई सुनवाई के दौरान उपस्थित थे. आयोग ने आगे नौ अक्टूबर को कार्यवाही जारी रखने का फैसला किया है.
पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह पर फंसा है पेंच
पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा करते हुए निर्वाचन आयोग का रुख करने वाले महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि उन्हें महाराष्ट्र में एनसीपी के 53 में से 42 विधायकों, नौ में से छह विधान परिषद सदस्यों, नागालैंड से सभी सात विधायकों और लोकसभा एवं राज्यसभा के एक-एक सदस्य का समर्थन प्राप्त है. सुनवाई के दौरान शरद पवार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी निर्वाचन आयोग के समक्ष उपस्थित हुए. अजित पवार की ओर से वरिष्ठ वकील एनके कौल और मनिंदर सिंह मौजूद थे.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट ने एनसीपी नेता शरद पवार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा करते हुए निर्वाचन आयोग का रुख किया था. एनसीपी का चुनाव चिन्ह घड़ी है.
अजित पवार गुट की दलील
अजित पवार ने आयोग के समक्ष रखी गई अपनी दलील में कहा, ‘इन परिस्थितियों में याचिकाकर्ता का कहना है कि उसे एनसीपी की संगठनात्मक इकाई के साथ-साथ विधायी इकाई में भी भारी समर्थन प्राप्त है और इसलिए माननीय आयोग द्वारा याचिकाकर्ता के नेतृत्व वाले गुट को असली पार्टी की मान्यता देकर वर्तमान याचिका को अनुमति दी जा सकती है.’
अजित पवार गुट ने शुक्रवार को आयोग के समक्ष अपने दावे के समर्थन में दलीलें पेश कीं. अजित पवार गुट की दलीलें सोमवार को भी जारी रहने की संभावना है. शरद पवार के वकील सिंघवी ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि अजित पवार द्वारा किए गए दावे काल्पनिक हैं.
इसी साल जुलाई की शुरुआत में महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के लिए चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत करने से दो दिन पहले अजित पवार ने 30 जून को निर्वाचन आयोग से संपर्क किया था और पार्टी के नाम के साथ-साथ चुनाव चिह्न पर भी दावा किया था और बाद में 40 विधायकों के समर्थन के साथ खुद को पार्टी अध्यक्ष भी घोषित कर दिया था. हाल ही में, शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने निर्वाचन आयोग को बताया था कि पार्टी में कोई विवाद नहीं है, लेकिन कुछ लोग व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के लिए संगठन से अलग हो गए हैं.