महाराष्ट्र चुनाव में 'वोट जिहाद' जैसे शब्दों के इस्तेमाल की जांच जारी, EC अधिकारी का बड़ा बयान
Maharashtra News: महाराष्ट्र के एडिशनल मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. किरण कुलकर्णी ने कहा कि हमें ‘वोट जिहाद’ जैसे शब्दों से बहुत सावधान रहना चाहिए क्योंकि इनके गंभीर परिणाम होते हैं.
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान कुछ राजनीतिक दलों की ओर से इस्तेमाल किये गये 'वोट जिहाद' जैसे विवादास्पद शब्दों की भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा जांच की जा रही है. एक अधिकारी ने बुधवार (11 दिसंबर) को यह जानकारी दी. महाराष्ट्र के एडिशनल मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. किरण कुलकर्णी ने कहा कि राज्य में हुए चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन के 650 से अधिक मामले दर्ज किये गये.
किरण कुलकर्णी ने ये भी कहा कि एनफोर्समेंट एजेंसियां यह सुनिश्चित करेंगी कि इन मामलों को तार्किक अंजाम तक पहुंचाया जाए. ‘वोट जिहाद’ के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ''निर्वाचन आयोग आगे की कार्रवाई करने से पहले कानूनी, भाषाई और सामाजिक क्षेत्रों में इसके प्रभावों का सतर्कतापूर्वक विश्लेषण कर रहा है. हमें ‘वोट जिहाद’ जैसे शब्दों से बहुत सावधान रहना चाहिए क्योंकि इनके गंभीर परिणाम होते हैं.''
सभी पहलुओं की समीक्षा के बाद निर्णय लेंगे- किरण कुलकर्णी
उन्होंने कहा, ''यह एक नया वाक्यांश है, जिसके लिए गहन अध्ययन की जरूरत है. इसमें कानूनी, भाषाई, सामाजिक और धार्मिक पहलू शामिल हैं, जिन पर विचार किया जाना चाहिए. मुख्य निर्वाचन अधिकारी, मैं और ईसीआई के अधिकारी इसका विश्लेषण कर रहे हैं और इन सभी पहलुओं की व्यापक समीक्षा के बाद हम उचित निर्णय लेंगे.''
'नई शब्दावली के लिए कोई ठोस कानूनी ढांचा नहीं'
जब उनसे पूछा गया कि क्या इस तरह के विवादास्पद शब्दों से चुनावी चर्चा पर असर पड़ता है, तो कुलकर्णी ने जल्दबाजी में कोई निष्कर्ष निकालने के प्रति आगाह किया. उन्होंने कहा, ''यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है. शब्दों और उनके संदर्भों को अच्छी तरह से परिभाषित किया जाना चाहिए. नई शब्दावली के लिए कोई ठोस कानूनी ढांचा नहीं है, इसलिए हमें ऐसे मामलों से सावधानीपूर्वक निपटना चाहिए और उनके परिणामों को ध्यान में रखना चाहिए.''
महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव 20 नवंबर को हुए थे और मतगणना इसके तीन दिन बाद हुई थी. राज्य में चुनाव आचार संहिता 15 अक्टूबर को लागू हो गई थी.कुलकर्णी ने कहा कि राज्य में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के लिए कुल 659 मामले दर्ज किए गये. यह आंकड़ा इस वर्ष की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान दर्ज किये गये ऐसे मामलों से ज्यादा है. लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन के 366 मामले दर्ज किये गये थे.
अदालतों में 300 आरोपपत्र पहले ही दाखिल- किरण कुलकर्णी
उन्होंने कहा, ''हमारी जांच एजेंसियों ने लोकसभा मामलों में उत्कृष्ट कार्य किया है और अदालतों में 300 आरोपपत्र पहले ही दाखिल किए जा चुके हैं.'' विधानसभा चुनाव के मामलों पर उन्होंने कहा, ''हम पूरी तत्परता से मामलों की जांच कर रहे हैं. सभी आरोपपत्र अदालतों में दाखिल किए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये मामले तार्किक अंजाम पर पहुंचें. कार्रवाई की समय सीमा न्यायपालिका पर निर्भर करती है. ये आपराधिक मामले हैं, इसलिए इनमें उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए.''
महाराष्ट्र के एडिशनल मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. किरण कुलकर्णी ने आगे कहा, ''अदालतें चुनाव संबंधी अपराधों के प्रति गंभीर हैं और हम जल्द समाधान का अनुरोध कर रहे हैं.'' नफरती भाषण की शिकायतों पर कुलकर्णी ने कहा कि इस तरह के मामलों से भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत निपटा जाता है. कुछ शिकायतों की सत्यता की पुष्टि की गई और प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों के तहत मामले दर्ज किए गए. हालांकि, आदर्श आचार संहिता कोई कानून नहीं है, बल्कि विभिन्न कानूनों द्वारा समर्थित एक सहमतिपूर्ण दिशानिर्देश है.''
कुलकर्णी ने मतदान के दौरान ‘बूथ कब्जाने’ के आरोपों को खारिज करते हुए महाराष्ट्र की मजबूत चुनावी प्रणाली का हवाला दिया. ‘बूथ कब्जाने ’ का मतलब धांधली करके या गैर कानूनी रूप से फर्जी वोट डालना और सही मतों को खराब करना होता है. उन्होंने कहा, ''महाराष्ट्र में ‘बूथ पर कब्जे’ कभी नहीं हुए. ईवीएम के मामले में यह बेमानी है, क्योंकि मशीनें मजबूत हैं और डेटा को फिर से हासिल किया जा सकता है. मतदान के दौरान व्यवधान के छह मामले सामने आए, लेकिन एक घंटे के भीतर मतदान प्रक्रिया बहाल कर दी गई.''
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