Bhima Koregaon Case: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी एवं नागरिक अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे की जमानत याचिका शुक्रवार को मंजूर कर ली. बहरहाल उच्च न्यायालय ने इस आदेश पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी है, ताकि इस मामले की जांच कर रही एजेंसी एनआईए उच्चतम न्यायालय का रुख कर सके. इसका अर्थ है कि तेलतुंबडे तब तक जेल से बाहर नहीं जा सकेंगे.
अदालत ने तेलतुंबडे की जमानत याचिका की स्वीकार
न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति एम एन जाधव की खंडपीठ ने 73 वर्षीय तेलतुंबडे की जमानत याचिका स्वीकार कर ली.तेलतुंबडे अप्रैल 2020 से इस मामले में जेल में हैं.अदालत ने एक लाख रुपए के मुचलके पर उनकी जमानत मंजूर की.एनआईए ने इस आदेश पर एक सप्ताह की रोक लगाए जाने का आग्रह किया, ताकि वह इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील कर सके. पीठ ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और अपने आदेश पर एक सप्ताह की रोक लगा दी.
नवी मुंबई की तलोजा जेल में हैं तेलतुंबडे
तेलतुंबडे इस समय नवी मुंबई की तलोजा जेल में हैं. एक विशेष अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. जिसके बाद उन्होंने पिछले साल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. तेलतुंबडे ने अपनी याचिका में दावा किया था कि वह 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित हुए एल्गार परिषद के कार्यक्रम में मौजूद ही नहीं थे और न ही उन्होंने कोई भड़काऊ भाषण दिया था.
इस मामले में जमानत पाने वाले तीसरे आरोपी हैं आनंद तेलतुंबडे
अभियोजन पक्ष का कहना है कि प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) द्वारा कथित तौर पर समर्थित इस कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण दिए गए थे,जिसके कारण बाद में पुणे के पास कोरेगांव भीमा गांव में हिंसा हुई थी. तेलतुंबडे इस मामले में जमानत पाने वाले तीसरे आरोपी हैं. कवि वरवर राव को चिकित्सकीय जमानत पर रिहा किया गया है.वकील सुधा भारद्वाज नियमित जमानत पर जेल से बाहर हैं.