Sharad Pawar Education: 4 बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं शरद पवार, जानें कितनी की है पढ़ाई
शरद पवार चार बार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने महाराष्ट्र कॉमर्स कॉलेज में ग्रेजुएशन किया है. ग्रेजुएशन के दौरान ही शरद पवार राजनीति में आ गए थे और छात्र संघ का चुनाव लड़कर महासचिव बनें.
Sharad Pawar Education: शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति का एक जाना माना चेहरा हैं. उनका पूरा नाम शरद गोविंदराव पवार है. वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के संस्थापक और वरिष्ठ नेता है. शरद पवार अब तक चार बार महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री बन चुके हैं. इसके अलावा वह केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. आज की स्टोरी हम आपको शरद पवार की पढ़ाई और राजनीतिक करियर के बारे में बताने जा रहे हैं.
शरद पवार का जन्म पुणे के बारामती में 12 दिसंबर साल 1940 को हुआ था. उनके पिता श्री गोविंदराव पवार बारामाती फार्मर्स कोऑपरेटिव बैंक में नौकरी करते थे. वहीं उनकी मां शारदाबाई पवार गृहणी थीं. शरद पवार नौ भाई बहन हैं. शरद पवार की स्कूली शिक्षा बारामती के सरकारी स्कूल से हुई इसके बाद उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय के बृहन् महाराष्ट्र कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. 1 अगस्त 1967 में शरद पवार की शादी प्रतिभा शिंदे के साथ हुई. उनकी बेटी सुप्रिया सुले हैं. सुप्रिया सुले भी एक जानी मानी नेता है. वर्तमान में वह महाराष्ट्र के बारामती सीट से सांसद हैं.
कॉलेज के दौरान ही राजनीति में आ गए थे शरद पवार
शरद पवार पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में आ गए थे. कॉलेज के दौरान उन्होंने महाराष्ट्र कॉमर्स कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ा और महासचिव बने. इसके बाद शरद पवार युवा कांग्रेस के साथ जुड़ गए. बाद में उनकी मुलाकात यशवंतराव चव्हाण से हुई जिन्होंने शरद पवार की क्षमता को पहचाना और उन्हें राज्य कांग्रेस समिति के सदस्य बनाया.
4 बार बन चुके हैं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री
शरद पवार पहली बार 1967 में बारामती से विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. इसके बाद वह लगातार 1972 और 1978 में चुनाव जीता. 1978 में ही शरद पवार पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने इसके बाद वह 1988, 1990 और 1993 में सीएम रहे. यूपीए की गठबंधन वाली सरकार में शरद पवार कैबिनेट मंत्री रहे.
कांग्रेस से अलग होकर बनाई अपनी पार्टी
1999 में शरद पवार, पी.ए. संगमा और तारिक अनवर को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया. दरअसल तीनों ने पार्टी की बागडोर सोनिया गांधी को सौंपने पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद 25 मई साल 1999 में शरद पवार, पी.ए. संगमा और तारिक अनवर ने मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना की हालांकि अलग होने के बावजूद शरद पवार की पार्टी यूपीए का हिस्सा रही.
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