Madhav Godbole Passed Away: पूर्व केंद्रीय गृह सचिव डॉ माधव गोडबोले (Madhav Godbole), का सोमवार को पुणे में उनके घर में हृदय गति रुकने से निधन हो गया.  वह 85 वर्ष के थे. उन्हें एक मजबूत प्रशासनिक अधिकारी और लेखक के रूप में जाना जाता था. उनके परिवार में पत्नी, बेटा और बेटी हैं.  डॉ. माधव गोडबोले 1992 में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के समय केंद्रीय गृह सचिव थे, और विरोध में उन्होंने जल्दी सेवानिवृत्ति ले ली थी.


इस वजह से ले ली थी स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति


डॉ. माधव गोडबोले 1959 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए थे. गोडबोले मार्च 1993 में स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हुए थे. उन्होंने निर्धारित समय से 18 महीने पहले तत्कालीन  प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त करने की उनकी सिफारिश को खारिज करने के विरोध में उन्होंने रिटायरमेंट ले ली थी. वहीं दिसंबर 2019 में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने सभी 32 जीवित आरोपियों को बरी कर दिया था. इसके बाद गोडबोले ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था, “ सेवा समाप्त होने के 18 महीने पहले मैंने सेवानिवृत्ति ले ली थी. कारण बिल्कुल स्पष्ट था, तत्कालीन कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली यूपी सरकार को बर्खास्त करने की मेरी सिफारिश को स्वीकार नहीं किया गया था…”



सेवानिवृत्ति के बाद भी केंद्र सरकार में संभाली कई जिम्मेदारी


सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने प्रशासनिक नीतियों के अनुरूप अपने दायित्वों का निर्वहन किया. अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, माधव गोडबोल ने केन्द्रीय सरकार में जम्मू और कश्मीर सरकार की आर्थिक सुधार समिति, महाराष्ट्र सरकार की बीमार सहकारी चीनी कारखाना समिति, एंड्रॉन पावर प्रोजेक्ट और ऊर्जा क्षेत्र सुधार समिति, अंतर्राष्ट्रीय सीमा प्रबंधन समिति जैसी विभिन्न जिम्मेदारियां निभाईं.


डॉ. माधव गोडबोले कितने पढ़े-लिखे थे


माधव गोडबोले ने अमेरिका के विलियम्स कॉलेज से डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स में एमए किया है और पीएच.डी. डिग्रियां हासिल कीं.  डॉ. माधव गोडबोले महाराष्ट्र सरकार में मुख्य वित्तीय सचिव थे. वह महाराष्ट्र राज्य विद्युत निगम के अध्यक्ष भी थे. उन्होंने मनीला में एशियाई विकास बैंक में पांच साल तक काम किया.


डॉ. माधव गोडबोले ने साहित्य में भी बनाई पहचान


डॉ. माधव गोडबोले ने प्रशासन के साथ-साथ साहित्य में भी अपनी पहचान बनाई. माधव गोडबोले ने लगभग 22 पुस्तकें लिखी हैं. इनमें से कई किताबें अंग्रेजी में हैं. इनमें से कुछ पुस्तकों का मराठी में अनुवाद किया गया है. एक अधूरी पारी 'अपुरा दाव' शीर्षक से प्रकाशित एक आत्मकथात्मक पुस्तक है. द होलोकॉस्ट ऑफ इंडियन पार्टिशन - एन इंक्वेस्ट ऑन द पार्टिशन ऑफ इंडिया नामक पुस्तक पर भी खूब चर्चा हुई थी.  मराठी में माधव गोडबोले की पुस्तकों को पुरस्कार मिल चुके हैं.


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