Girish Bapat Passes Away: बुधवार (29 मार्च) को पुणे से बीजेपी सांसद गिरीश बापट का निधन हो गया. वह 72 साल के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन पर पक्ष-विपक्ष के तमाम नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी बापट के निधन पर दुख प्रकट किया. मीडिया से बातचीत में सीएम शिंदे ने कहा, 'गिरीश बापट का निधन बहुत दुखद है. वह भाजपा के वरिष्ठ नेता थे. उनकी शुरुआत जमीनी स्तर से हुई है. वह मेरे लिए बड़े भाई और मित्र जैसे थे. मेरा और उनका करीबी रिश्ता था. मैं उनको भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.'
पीएम मोदी ने भी व्यक्त की शोक संवेदना
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की है. पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'श्री गिरीश बापट जी एक विनम्र और मेहनती नेता थे जिन्होंने लगन से समाज की सेवा की. उन्होंने महाराष्ट्र के विकास के लिए बड़े पैमाने पर काम किया और वे पुणे के विकास के लिए बहुत उत्सुक थे. उनका निधन दुखद है. उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं. ओम शांति,'
उन्होंने आगे लिखा, ''श्री गिरीश बापट जी ने महाराष्ट्र में बीजेपी को बनाने और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह एक सुलभ विधायक थे जिन्होंने जन कल्याण के मुद्दों को उठाया. उन्होंने एक प्रभावी मंत्री और बाद में पुणे के सांसद के रूप में भी अपनी पहचान बनाई. उनका अच्छा काम कई लोगों को प्रेरित करता रहेगा.''
वैकुंठ श्मशान घाट में किया जाएगा बापट का अंतिम संस्कार
गिरीश बापट का अंतिम संस्कार वैकुंठ श्मशान घाट में शाम 7 बजे किया जाएगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बापट के निधन पर शोक संवेदना प्रकट की है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'पुणे से लोकसभा सांसद श्री गिरीश बापट के निधन से काफी दुखी हूं, उन्हें एक जमीनी नेता के रूप में जाना जाता था, जिन्होंने लोगों की भलाई के लिए काम किया. वह कई सामुदायिक सेवा प्रयासों में भी सबसे आगे थे. उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदनाएं. ओम शांति.'
बीमार होने के बावजूद उपचुनाव में रहे सक्रिय
सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद बापट को बुधवार सुबह पुणे के दीनानाथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बीमार होने के बावजूद, उन्होंने हाल ही में कस्बा पेठ विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनावों के प्रचार में भाग लिया था, हालांकि वह अपनी पार्टी के उम्मीदवार को जिता नहीं सके. वह आरएसएस के एक सक्रिय कार्यकर्ता थे और पांच बार विधायक भी रहे.
टाटा मोटर्स के साथ की थी अपने करियर की शुरुआत
अमरावती जिले से आने वाले बापट ने अपने करियर की शुरुआत 1973 में टाटा मोटर्स के साथ की थी, उस समय टाटा मोटर्स को टेल्को के नाम से जाना जाता था. इसके साथ साथ वे आरएसएस से भी जुड़ गए और संघ की गतिविधियों में प्रमुखता से हिस्सा लिया जिसकी वह से उन्हें इमरजेंसी के दौरान जेल भी जाना पड़ा.
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