Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक बेहद अहम टिप्पणी करते हुए कि कहा बेटी पिता की जागीर नहीं होती. बॉम्बे हाई कोर्ट के औरंगाबाद बेंच ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बेटी पिता की जायदाद नहीं है जिसे वह किसी को दान में दे दे. यहां बता दें कि जस्टिस विभा कंकनवाड़ी की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. जस्टिस विभा ने बाबा शंखेश्वर ढकने और उनके शिष्य सोपान धनके की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. दोनों ही आरोपियों को एक नाबालिग के बलात्कार के आरोप नें गिरफ्तार किया गया था.
दोनों आरोपी जलना जिले के बदनपुर गांव के एक मंदिर में एक बाप बेटी के साथ रहते थे. अगस्त 2021 में लड़की ने दोनों पर बलात्कार का मामला दर्ज करवाया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया . जस्टिस विभा ने कहा, ''यह कहा गया है कि लड़की के पिता ने अपनी बेटी को बाबा को दान में दे दिया है. साथ ही यह भी कहा गया है कि यह कथित कन्यादान इश्वर की उपस्थिति में किया गया. जब लड़कि स्वयं को नाबालिग बता रही है, तो पिता ने कि कारण से उसे दान में दे दिया?' जस्टिस विभा ने कहा, एक लड़की किसी की संपत्ति नहीं है जिसे किसी को दान में दिया जा सके.
कोर्ट ने बाल कल्याण समिति को इस संबंध में जांच करने और अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा, ''यह लड़की के भविष्य के मद्देनजर है और उसे किसी गैर-कानूनी गतिविधियों में नहीं शामिल किया जाना चाहिए.’’ यहां बता दें कि कोर्ट ने 25-25 हजार रुपये के जमानती बाण्ड की शर्त पर दोनों की जमानत मंजूर करते हुए मामले की अगली सुनवाई चार फरवरी निर्धारित की है.
यह भी पढ़ें