गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से अब तक 4 लोगों ने गंवाई जान, महाराष्ट्र में GBS के कुल 140 मामले आए सामने
Guillain-Barre Syndrome: महाराष्ट्र के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, पूरे प्रदेश में अब तक 140 संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिनमें से 98 में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) की पुष्टि हो चुकी है.

Maharashtra Guillain-Barre Syndrome: महाराष्ट्र में 'गुइलेन-बैरे सिंड्रोम' (GBS) के कारण मरने वालों की संख्या शुक्रवार (31 जनवरी) को बढ़कर चार हो गई. जबकि पूरे राज्य में अब तक 140 मामले सामने आ चुके हैं. स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि पानी के सैंपल में ई.कोली बैक्टीरिया पाया गया है. वहीं पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम क्षेत्र के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल में निमोनिया के कारण सांस लेने में दिक्कत होने से 36 वर्षीय एक व्यक्ति की गुरुवार को मौत हो गई थी.
जानकारी के अनुसार, पुणे के सिंहगढ़ रोड के धायरी इलाके के रहने वाले 60 वर्षीय व्यक्ति की शुक्रवार को मौत हुई. पुणे नगर निगम (पीएमसी) के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पीड़ित को दस्त और कमजोरी के कारण 27 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई. राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, अब तक 140 संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिनमें से 98 में जीबीएस की पुष्टि हो चुकी है.
कहां कितने मरीज?
आधिकारिक रिलीज में कहा गया कि पुणे से 26 मरीज हैं जबकि पीएमसी क्षेत्र में शामिल किए गए नए गांवों से 78 लोग हैं, 15 मरीज पिंपरी चिंचवाड़ से हैं, 10 मरीज पुणे ग्रामीण से हैं और 11 लोग अन्य जिलों से हैं. महाराष्ट्र में शुक्रवार को जीबीएस का कोई नया मामला सामने नहीं आया. राज्य में सामने आए अधिकांश मामले पुणे और आसपास के इलाकों से हैं.
पुणे शहर में पानी के कुल 160 सैंपलों की जांच
पुणे शहर के विभिन्न भागों से पानी के कुल 160 सैंपलों को रासायनिक और जैविक विश्लेषण के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला भेजा गया, जिसमें से आठ जल स्रोतों के सैंपल दूषित पाए गए. एक अधिकारी ने बताया कि सिंहगढ़ रोड क्षेत्र के कुछ निजी बोरवेल से प्राप्त सैंपल में से एक में एस्चेरिचिया कोलाई या ई-कोली बैक्टीरिया पाया गया. उन्होंने कहा कि पानी में ई-कोली का होना मल या पशु अपशिष्ट संदूषण का संकेत है और बैक्टीरिया की व्यापकता जीबीएस संक्रमण का कारण बन सकती है.
जीबीएस एक दुर्लभ डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर के हिस्से अचानक सुन्न पड़ जाते हैं और मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है. इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैर में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं. माना जाता है कि दूषित भोजन और पानी में पाया जाने वाला 'बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी' इस प्रकोप का कारण है.
झारखंड सरकार अलर्ट
वहीं झारखंड सरकार ने शुक्रवार को कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में सामने आ रहे जीबीएस के मामलों के लेकर वह सतर्क है और राज्य में इसके प्रकोप से निपटने के लिए उपाय कर रही है. राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राज्य के शीर्ष स्वास्थ्य संस्थान रिम्स और अन्य अस्पताल इस बीमारी से निपटने के लिए तैयार रहें.
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