(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Maharashtra: क्या है हनुमान चालीसा विवाद, जिसे लेकर कोर्ट ने सांसद नवनीत राणा और उनके पति की याचिका की खारिज?
Hanuman Chalisa: कोर्ट ने हनुमान चालीसा के पाठ को लेकर उपजे विवाद से जुड़े गिरफ्तारी का विरोध करने और पुलिस को अपना कर्तव्य निभाने से रोकने के मामले में नवनीत राणा और उनके पति की याचिका खारिज कर दी.
Hanuman Chalisa Controversy: मुंबई की एक विशेष अदालत ने हनुमान चालीस पाठ को लेकर हुए विवाद के बाद गिरफ्तारी का विरोध करने और पुलिस को उनके कर्तव्य का पालन करने में बाधा डालने के 2022 के एक मामले में निर्दलीय लोकसभा सदस्य नवनीत राणा और उनके विधायक-पति रवि राणा की आरोपमुक्त करने की अर्जी खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि आरोपी दंपति के खिलाफ प्रथम दृष्टया पर्याप्त साक्ष्य हैं. दंपति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 353 (एक लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) के तहत उन पुलिसकर्मियों का कथित तौर पर विरोध करने के लिए मामला दर्ज किया गया है, जो उपनगरीय खार में उनके आवास पर उन्हें गिरफ्तार करने गए थे.
क्या है पूरा मामला?
दंपति ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बांद्रा स्थित निजी आवास के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की घोषणा की थी, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की थी. एमपी/एमएलए अदालत के विशेष न्यायाधीश आर.एन. रोकडे ने मामले में आरोपमुक्त करने के अनुरोध वाली राणा दंपति की याचिका खारिज कर दी और कहा कि प्रथम दृष्टया गवाहों के बयानों के आधार पर आवेदकों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. न्यायाधीश ने कहा कि इस प्रकार आईपीसी की धारा 353 के तहत अपराध का मामला बनता है.
जज ने क्या कहा?
जज ने कहा, प्रथम दृष्टया गवाहों के बयानों के आधार पर आवेदकों के खिलाफ पर्याप्त सबूत थे. इस प्रकार, आईपीसी की धारा 353 के तहत अपराध बनता है. डिस्चार्ज एक चरण है जो किसी मामले में आरोप पत्र दायर होने के बाद आता है. वकील रिजवान मर्चेंट के माध्यम से दायर मुक्ति याचिका में दावा किया कि उनके खिलाफ पुलिस की चार्जशीट में छेड़छाड़ की गई है और उन्हें केवल उनकी प्रतिष्ठा को खराब करने और नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार किया गया है ताकि वे दबाव की रणनीति और राजनीतिक एजेंडे के आगे झुक सकें.