(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
BJP को झटका, हर्षवर्धन पाटिल ने थामा शरद पवार का दामन, ये नेता भी छोड़ सकते हैं महायुति का साथ
Harshvardhan Patil Joins Sharad Pawar Faction: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को झटका देते हुए हर्षवर्धन पाटिल शरद पवार की पार्टी में शामिल हो गए.
पश्चिमी महाराष्ट्र में बीजेपी का अहम चेहरा रहे हर्षवर्धन पाटिल ने बीजेपी का दामन छोड़ शरद पवार का हाथ थाम लिया है. 2019 में महाराष्ट्र के बड़े नेताओं ने बीजेपी के 'कमल' को स्वीकार किया था, अब 2024 में यही नेता बीजेपी को अलविदा कह रहे हैं.
आने वाले समय में कई बड़े नेता महायुती को छोड़ महाविकास अघाड़ी के साथ जुड़ सकते हैं. इसकी शुरुआत पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल से हुई है. महाराष्ट्र के 20-25 बड़े नेता महाविकास अघाड़ी में शामिल हो सकते हैं, ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं.
लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में इस समय महाविकास अघाड़ी के लिए अच्छा माहौल होने की बात कही जा रही है. कई सर्वेक्षणों के बाद राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा है कि कांग्रेस, शरद पवार और उद्धव ठाकरे को अच्छी सीटें मिल सकती हैं.
अगर एनडीए खेमे की बात करें तो वहां सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. बीजेपी और शिवसेना के कार्यकर्ताओं के बीच अजित पवार से नाराजगी की बातें सामने आई हैं. दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में चर्चा है कि जिनके खिलाफ उन्होंने 2019 में चुनाव लड़ा, उनके साथ रहना आधार को तोड़ने जैसा है. हालांकि, महायुती के नेता इस बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं.
शरद पवार गुट का दाम थाम सकते हैं ये नेता
- पुणे जिले से अजित पवार की पार्टी के वर्तमान विधायक
- पश्चिमी महाराष्ट्र में अजित पवार की पार्टी का एक अहम चेहरा जिसका सतारा जिले में प्रभाव है
- वाई विधानसभा 2019 में उम्मीदवारों ने बीजेपी से चुनाव लड़ा
- अजित पवार गुट के विधायक बबन शिंदे
- पूर्व विधायक विलास लांडे जो अजित पवार के साथ हैं
- एकनाथ शिंदे के सिपहसालार और विधायक तानाजी सावंत के भतीजे अनिल सावंत दो बार शरद पवार से मिल चुके हैं.
- मधुकर पिचाड, जो बीजेपी में हैं लेकिन अपने बेटे के लिए शरद पवार की एनसीपी से उम्मीदवारी मांग रहे हैं
सूत्रों के हवाले से खबर है कि शरद पवार ने आश्वासन दिया है कि चाहे वह हर्षवर्धन पाटिल हों या समरजीत घाडगे हों, अगर वे सत्ता में आए तो उनका उचित सम्मान बरकरार रखा जाएगा. इसके चलते ऐसा देखा जा रहा है कि कई महत्वाकांक्षी उम्मीदवार जिन्हें यह एहसास हो गया है कि सत्ताधारी पार्टी में उनकी दाल नहीं गलेगी, वे शरद पवार की एनसीपी में शामिल होने के लिए आगे आ रहे हैं.
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