Haryana Assembly Election Result 2024: हरियाणा में हार के बाद अब कांग्रेस इंडिया गठबंधन की सहयोगी पार्टियों के निशाने पर भी आ गई है. चुनावी नतीजों के बाद अब शिवसेना (यूबीटी) उद्धव ठाकरे गुट ने हार के लिए कांग्रेस की लीडरशिप और भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर हमला बोला है. सामना के संपादकीय में हरियाणा में कांग्रेस की वजह अति आत्मविश्वास बताया है. इसके साथ ही महाराष्ट्र में हरियाणा वाली गलती न दोहराने यानी अकेले चुनाव न लड़ने की हिदायत भी दी है.


इसके साथ ही लिखा कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी-कांग्रेस के लिए चौंकाने वाले हैं. हरियाणा में कांग्रेस की हार की वजह अति आत्मविश्वास और स्थानीय नेताओं की नाफरमानी माना जा रहा है. कोई भी मजबूती से नहीं कह रहा था कि हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी की सरकार आएगी.


कुल मिलाकर माहौल यह था कि कांग्रेस की जीत एकतरफा होगी, लेकिन जीत की पारी को हार में कैसे बदला जाए यह कांग्रेस से ही सीखा जा सकता है. हरियाणा में बीजेपी विरोधी माहौल था. ऐसा माहौल था कि बीजेपी के मंत्रियों और उम्मीदवारों को हरियाणा के गांवों में घुसने नहीं दिया जा रहा था. फिर भी हरियाणा के नतीजे कांग्रेस के खिलाफ गए.


‘बीजेपी का सपना चकनाचूर कर दिया’
वहीं जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने बहुमत हासिल कर लिया और बीजेपी का सपना चकनाचूर कर दिया. ढोल बजाया जा रहा था कि कश्मीर की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-गृह मंत्री अमित शाह को ही वोट देगी. पांच साल पहले अमित शाह ने घोषणा की थी कि मानो अनुच्छेद 370 हटाकर एक क्रांतिकारी कदम उठाया है. मोदी-शाह कश्मीर से धारा 370 हटाकर अखंड भारत के सपने को साकार करने का दम भर रहे थे, लेकिन कश्मीर में आतंकवाद खत्म नहीं कर सके. युवाओं को रोजगार देने में मोदी-शाह पिछड़ गए.


संपादकीय में लिखा कि मुख्य रूप से मोदी-शाह हजारों कश्मीरी पंडितों को वापस लाने में विफल रहे. धारा 370 हटाना एक तमाशा साबित हुआ और अब वहां की जनता ने बीजेपी को हरा दिया. इस तरह हरियाणा में कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर में बीजेपी को झटका लगा. पीएम मोदी को कश्मीर के लोगों ने खारिज कर दिया और हरियाणा में स्थिति अनुकूल होने के बावजूद कांग्रेस फायदा नहीं उठा सकी.


हुड्डा ने कांग्रेस की नैया डुबो दी? 
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आगे लिखा कि उनके साथ हमेशा ऐसा होता पिछली दफा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में एक तरह का माहौल था कि बीजेपी सत्ता में नहीं आएगी, लेकिन कांग्रेस पार्टी की आंतरिक अव्यवस्था बीजेपी के लिए मुफीद साबित हुई. सवाल खड़ा हो गया है कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की नैया डुबो दी है.


हुड्डा की भूमिका इस तरह थी कि जैसे कांग्रेस के सूत्रधार वही हैं और जिसे वह चाहें वही कैंडिडेट होगा. कुमारी सैलजा जैसी पार्टी नेता को हुड्डा और उनके लोगों द्वारा सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया और दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान हुड्डा को रोकने में विफल रहा. हरियाणा के किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर जबरदस्त आंदोलन किया. 


बीजेपी विरोधी लहर का फायदा नहीं उठा पाई कांग्रेस
आगे लिखा है कि हरियाणा की महिला पहलवानों से छेड़छाड़ पर बीजेपी ने और उसके प्रधानमंत्री ने कोई कार्रवाई नहीं की. विनेश फोगाट और उनके साथियों को दिल्ली के जंतरमंतर रोड से घसीटते हुए पुलिस वैन में ठूंसा गया. इन सबका गुस्सा हरियाणा के लोगों में साफ दिख रहा था. बेशक, भले ही विनेश फोगाट खुद जीत गईं, लेकिन उनके साथ हुए अन्याय के कारण पूरे हरियाणा में पैदा हुए गुस्से और नाराजगी से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हुआ.


हरियाणा में बीजेपी विरोधी लहर थी और कहा जा रहा था कि बीजेपी उस लहर में बह जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. क्योंकि कांग्रेस का संगठन अव्यवस्थित एवं कमजोर था. राजनीति और चुनाव में संगठन को जमीन पर होना जरूरी है. बीजेपी का संगठन मजबूत था और ‘स्ट्रेटेजी’ अचूक साबित हुई.


‘अन्य समुदायों को साथ नहीं ला सकी कांग्रेस’
मध्य प्रदेश में कमलनाथ ने सीधे तौर पर बीजेपी की मदद की. हरियाणा में भी केंद्रीय जांच एजेंसी हुड्डा के पीछे थी, फिर भी हुड्‌डा कांग्रेस के साथ बने रहे. वह हरियाणा में जाट समुदाय के बड़े नेता हैं, लेकिन वह अन्य समुदायों को कांग्रेस के साथ नहीं ला सके. यह जाटों और अन्य समुदायों के बीच मुकाबला था और बीजेपी जीत गई. 


राम रहीम की पैरोल पर भी उठाये सवाल
इसके साथ ही राम रहीम की पैरोल पर भी सवाल खड़ा किया कि कैसे रेप के आरोप में जेल में बंद बाबा राम रहीम का वोटिंग से कुछ दिन पहले पैरोल पर बाहर आ जाता है? राम रहीम का ये ‘चुनावी कनेक्शन’ पिछले चुनावों में भी देखने को मिला था.


‘सैनी का बयान रहस्यमय है’
वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी के बयान पर भी सवाल खड़ा किया गया क्योंकि नतीजों से एक दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि बीजेपी ही चुनाव जीतेगी. हमने जीत के लिए सारे इंतजाम कर लिए हैं. सैनी का यह बयान रहस्यमय है. सुबह साढ़े दस बजे तक कांग्रेस 65 सीटों पर आगे चल रही थी. कांग्रेस जगह-जगह जलेबियां-लड्डू बांटने लगी, लेकिन अगले ही घंटे में बीजेपी ने बढ़त बना ली और कांग्रेस पिछड़ गई.


चुनाव आयोग ने बाद में वोटों की गिनती भी मंदी कर दी, ऐसा क्यों हुआ? जब कांग्रेस हर जगह आगे चल रही थी तो वोटों की गिनती और ‘अपडेट’ की गति अचानक धीमी क्यों हो गई? कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है.


हरियाणा में भाजपा की जीत संदिग्ध हो गई है. इसलिए मोदी और शाह को हरियाणा की जीत में नहीं बह जाना चाहिए, क्योंकि वे एक महत्वपूर्ण राज्य जम्मू-कश्मीर में हार गए हैं. इसका मतलब यही है कि प्रधानमंत्री मोदी पूरे देश के नेता नहीं हैं. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के नतीजे इसके संकेत हैं. कल महाराष्ट्र में चुनाव होंगे. महाराष्ट्र की जनता हरियाणा की राह पर नहीं जाएगी और महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी की जीत होगी. मराठी जनमत मोदी-शाह, फडणवीस-शिंदे के खिलाफ है. 


‘महाराष्ट्र की महाविकास गठबंधन जीतेगा’
इसके साथ ही दावा किया गया कि महाराष्ट्र की बाजी महाविकास गठबंधन ही जीतेगा, लेकिन राज्य में कांग्रेस नेताओं को हरियाणा के नतीजों से बहुत कुछ सीखना है. हरियाणा में कांग्रेस ने ‘आप’ समेत कई घटकों को दूर रखा, क्योंकि उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी नहीं चाहिए थी. इस खेल में पूरा राज्य ही हाथ से निकल गया. जम्मू-कश्मीर में ‘इंडिया’ गठबंधन की जीत हुई. हरियाणा में सिर्फ कांग्रेस पीछे हटी.‘इंडिया गठबंधन’ के लिए तस्वीर अच्छी नहीं, लेकिन ध्यान कौन देगा?


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