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शरद पवार के इस्तीफा देने के तरीके ने कैसे बढ़ा दी भतीजे अजित की मुश्किलें?

शरद पवार के इस्तीफा देने के बाद सबसे अधिक चर्चा उनके भतीजे अजित पवार की हो रही है. सियासी गलियारों में सीनियर पवार के इस्तीफा देने के तरीके से अजित को राजनीतिक नुकसान होने की संभावनाएं जताई जा रही है.

मुंबई का यशवंतराव चव्हाण सेंटर मंगलवार को महाराष्ट्र की सियासत का केंद्र बना रहा. आत्मकथा विमोचन करने आए शरद पवार ने यहीं पर अपने रिटायरमेंट की घोषणा कर दी. पवार के इस ऐलान से एनसीपी के कार्यकर्ता उबल पड़े. कई दिग्गज नेता मंच पर ही रोने लगे और उन्हें अपना फैसला वापस लेने की अपील करते रहे.

हालांकि, इन सबके बीच सबसे अधिक चर्चा में उनके भतीजे अजित पवार रहे. अजित कार्यकर्ताओं को शरद पवार के फैसले के बारे में समझाते और मनाते रहे. अजित एनसीपी विधायक दल के नेता हैं और उन्हें सीनियर पवार के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता रहा है. 

शरद पवार के अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा को राजनीतिक जानकार एक इमोशनल दांव मान रहे हैं. 82 साल के पवार एनसीपी के गठन के बाद से ही इसके अध्यक्ष हैं. पिछले दिनों अजित के बीजेपी के साथ जाने की खबरों के बाद पवार का इस्तीफा सियासी सवालों के घेरे में है. हालांकि, उनके इस्तीफा देने के तरीके को मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है.

शरद पवार ने अचानक क्यों की घोषणा?
दिल्ली से मुंबई तक सियासी गलियारों में शरद पवार के बारे में कई कहावतें मशहूर है और इनमें उनका चौंकाना वाला फैसला भी शामिल हैं. हाल ही के वर्षों में पवार ने महाविकास अघाड़ी बनाकर शिवसेना और कांग्रेस को एक साथ लाकर सबको चौंका दिया था.

पवार के इस फैसले को भी इसी तरह से देखा जा रहा है. पवार के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के कद्दावर नेता संजय निरुपम ने पार्टी को आगाह किया है. निरुपम ने कहा है कि महाविकास अघाड़ी को मिल रही लगातार सफलता के बाद पवार का इस्तीफा बहुत कुछ कह रहा है.

शरद पवार के अचानक इस्तीफे की घोषणा पर अजित ने कहा कि यह आज नहीं तो कल होना ही था. अब नई पीढ़ी को जिम्मेदारी लेने का वक्त आ गया है.

शरद पवार के इस्तीफा से परिवार था वाकिफ?
आत्मकथा विमोचन के वक्त शरद पवार के साथ उनकी पत्नी प्रतिभा और बेटी सुप्रिया भी मौजूद थीं. भतीजे अजित और पार्टी के वरिष्ठ नेता उनके पास बैठे थे. पवार जब माइक पर आए तो उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा कर दी. 

शरद पवार ने कहा कि मैं 7-8 दिन से विचार कर रहा था और फैसला किया है कि एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ दूं. पवार की इस घोषणा से वहां मौजूद बड़े नेता और कार्यकर्ता चौंक गए. 

प्रफुल पटेल और छगन भुजबल ने सार्वजनिक तौर पर इस्तीफे की जानकारी नहीं होने की बात कही.  शरद पवार के साथ मौजूद बेटी सुप्रिया मुस्कुराती रहीं, जबकि पत्नी के चेहरे पर भी कोई इस्तीफे के विरूद्ध कोई हावभाव नहीं था.

शरद पवार के जाने के बाद सुप्रिया कार्यकर्ताओं को यशवंतराव चव्हाण सेंटर में समझाती रहीं. सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि पवार के इस्तीफे के बारे में परिवार को पहले से भनक थी. 

अजित पवार क्यों आए रडार पर, 2 वजहें

1. बीजेपी के साथ मिलने की चर्चा- महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में पिछले एक पखवाड़े से अजित पवार के बीजेपी के साथ जाने की चर्चा चल रही है. अजित और शरद दोनों नकार चुके हैं, इसके बावजूद एनसीपी में अंदरूनी हलचल जारी था.

दावा किया जा रहा था कि 54 में से 40 विधायक अजित पवार के साथ हैं, जो कभी भी बीजेपी गठबंधन में शामिल हो सकते हैं. शरद पवार के इस्तीफे को अजित के इसी फैसले से जोड़ कर देखा जा रहा है. 

सियासी जानकारों का कहना है पवार का यह अचानक में लिया गया फैसला मजबूरी में भी हो सकता है. कार्यकर्ता भी इसे इसी तरह जोड़ कर देख रहे हैं. अजित पवार 2019 में भी बगावत कर बीजेपी के साथ चले गए थे. 

2. विरोध के दौरान अजित का अड़ियल रवैया- शरद पवार ने जब एनसीपी अध्यक्ष का पद छोड़ने की घोषणा की तो कार्यकर्ता विरोध करने लगे. इस दौरान अजित पवार का अड़ियल रवैया भी देखा गया. पवार कार्यकर्ताओं को चुप कराते नजर आए.

अजित ने शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को मंच पर बोलने भी नहीं दिया. वहीं जब अजित की बारी आई तो उन्होंने नए लोगों को नेतृत्व देने की पैरवी की. अजित ने कहा कि पवार साहब ने सोच समझकर फैसला किया है, आप लोग इसे वापस लेने का दबाव न बनाएं.

वाई.बी चव्हाण सेंटर के बाहर धरने पर बैठे कार्यकर्ताओं को भी अजित पवार डांटते नजर आए, जिस वजह से इस प्रकरण में सबसे अधिक चर्चा अजित पवार की ही है.

शरद पवार या कोई और.. इस्तीफा के बाद भी सस्पेंस
शरद पवार इस्तीफा देने की घोषणा कर चुके हैं, इसके भी महाराष्ट्र सियासत में सवाल बना हुआ है कि एनसीपी का नया अध्यक्ष कौन होगा? पवार ने इस्तीफा देते हुए इसके चयन के लिए 15 सदस्यों की एक टीम बनाई थी, लेकिन गेंद फिर उन्हीं के पाले में चली गई है. 

शरद पवार के साथ मैराथन बैठक कर अजित ने पत्रकारों को बताया कि दो दिन बाद पवार साहब फाइनल फैसला सुनाएंगे. उन्होंने कहा कि पवार साहब के फैसला आने के बाद ही नया अध्यक्ष पर विचार-विमर्श शुरू होगा.

यानी एनसीपी में नए अध्यक्ष को लेकर सस्पेंस बरकरार है. सभी की निगाहें शरद पवार की ओर टिकी है.

इस्तीफे के तरीके से अजित की मुश्किलें क्यों बढ़ी?
शरद पवार के इस्तीफे से सबसे अधिक नुकसान फिलहाल अजित पवार को हो सकता है. अजित पवार का कद एनसीपी में शरद पवार के बाद दूसरे नंबर की है. गठबंधन के हर सरकार में पार्टी का नेतृत्व अजित के हाथों में ही रही है.

विलासराव देशमुख, अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण और उद्धव ठाकरे की सरकार में अजित डिप्टी सीएम रहे हैं. उत्तराधिकारी की लड़ाई में भी अजित सुप्रिया से बहुत आगे माने जाते रहे हैं. ऐसे में शरद पवार के इस्तीफे ने एनसीपी के भीतर बहुत कुछ बदल दिया है. 

1. कार्यकर्ताओं की भावना शरद पवार के साथ
शरद पवार के इस्तीफा देने के बाद जिस तरह बवाल हुआ है, उससे साफ हो गया है कि कार्यकर्ताओं की भावना उन्हीं के साथ है. मीडिया में एनसीपी के भीतर अजित पवार के कद को लेकर कई तरह के दावे किए जा रहे थे. 

एक अंग्रेजी अखबार ने अजित के साथ 40 विधायकों के होने की खबर भी छापी, लेकिन शरद पवार के इस्तीफे ने सबको धत्ता बता दिया. वरिष्ठ पत्रकार संजय मिस्किन कहते हैं- पवार के इस्तीफे को एक इंटरवल मानिए, अभी क्लाइमैक्स आना बाकी है.

2. अजित से अध्यक्ष का पद चला गया दूर
शरद पवार के इस्तीफा देने के बाद अजित भले पावरफुल हो जाए, लेकिन अध्यक्ष की कुर्सी उनसे दूर चली गई है. अजित अगर अध्यक्ष बनते हैं तो साफ संदेश जाएगा कि उन्हीं के दबाव में सीनियर पवार ने इस्तीफा दिया है.

एनसीपी में अध्यक्ष को लेकर अब तक दो फॉर्मूला सामने आया है. पहला फॉर्मूला वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने सुझाया है. भुजबल के मुताबिक सुप्रिया सुले को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए और अजित पवार महाराष्ट्र की कमान संभाले.

दूसरा फॉर्मूला कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का है. वरिष्ठ नेताओं ने शरद पवार से कहा है कि आप अध्यक्ष रहें और एक कार्यकारी अध्यक्ष का चुनाव कर लें. इसी बीच एनसीपी से जुड़े सूत्रों ने दावा किया है कि पवार ने परिवार के किसी सदस्यों को अध्यक्ष नहीं बनाने की बात कही है.

इस फैसले से माना जा रहा है कि पब्लिक और कार्यकर्ताओं के बीच अजित के बारे में जो धारणाएं बनी है, उससे सीनियर पवार वाकिफ हैं. परिवार के किसी सदस्य के अध्यक्ष नहीं बनने की स्थिति में जयंत पाटिल या प्रफुल पटेल को कमान मिल सकती है.

3. पवार ही पावर सेंटर, इग्नोर करना मुश्किल होगा
राजनीतिक विश्लेषक विजय चोरमारे कहते हैं- शरद पवार ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर खुद का कद और बढ़ा लिया है. एनसीपी में अध्यक्ष कोई भी बने, लेकिन पवार हाल के वर्षों तक एनसीपी में सत्ता का केंद्र बने रहेंगे.

चोरमारे आगे कहते हैं- एनसीपी में जो बगावत और टूट की अटकलें लग रही थी, अब बिना पवार के सहमति के यह संभव नहीं हो पाएगा. अगर कोई नेता ऐसा करते हैं तो कार्यकर्ताओं की नजर में विलेन बन जाएंगे.

सामना के कार्यकारी संपादक और शिवसेना (ठाकरे) के सांसद संजय राउत ने पत्रकारों से कहा कि शरद पवार अभी राजनीति से रिटायर नहीं हुए हैं. पवार साहब देश और महाराष्ट्र में विपक्ष के साथ खड़े रहेंगे.

एनसीपी में अगर ऐसा होता है तो अजित पवार की मुश्किलें बढ़ सकती है. अजित पवार ने हाल ही में मुख्यमंत्री बनने को लेकर एक बड़ा बयान दिया था. 

सुप्रिया-अजित ही नहीं, पवार परिवार के ये लोग भी पॉलिटिक्स में...
शरद पवार के परिवार से अभी 5 लोग पॉलिटिक्स में हैं. इनमें खुद शरद पवार, अजित पवार, सुप्रिया सुले, रोहित पवार और पार्थ पवार शामिल हैं. शरद पवार राज्यसभा से सांसद हैं और उनका 3 साल का कार्यकाल अभी बचा हुआ है.

सुप्रिया बारामती से लोकसभा की सांसद हैं और अजित विधायक दल के नेता हैं. शरद पवार के भाई के पोते रोहित पवार वर्तमान में विधायक हैं, जबकि अजित पवार के बेटे पार्थ भी राजनीति में कदम रख चुके हैं.

शरद पवार ने शुरुआत में अपनी बेटी सुप्रिया को दिल्ली की राजनीति में और भतीजे अजित को महाराष्ट्र की राजनीति में रखा. शरद पवार ने हालिया आत्मकथा में खुलासा किया है कि जब अजित ने बगावत की थी तो उनकी पत्नी प्रतिभा ने डैमेज कंट्रोल करने में बड़ी भूमिका निभाई थी.

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