Maharashtra News: अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस द्वारा दायर की गई छह आरटीआई के माध्यम से पता चला है कि पिछले 4 सालों में मुंबई में डकैती से अपराधियों ने 303.79 करोड़ रुपये कमाए हैं. इस हैरान करने वाली खबर के मुताबिक 2021 में चोरी, चेन स्नेचिंग, घर में तोड़ कर चोरी, डकैती, कीमती गाड़ियों की चोरी और साथ ही 69.13 करोड़ रुपये की नकदी चोरी से यह पैसा कमाया गया है. 


आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि पुलिस पिछले चार सालों में चोरों द्वारा लूटे गए 303.79 करोड़ रुपये की वसूली नहीं कर पाई है. पिछले चार साल में मुंबई पुलिस का चोरों से रिकवरी रेट महज औसतन 35 फीसदी है. एकमात्र उम्मीद की किरण यह है कि यह संख्या पिछले साल बढ़कर 43 प्रतिशत हो गई है.


पुलिस ने डिटेक्शन टीम का गठन किया
इन मामलों का पता लगाने और वसूली की रकम को जब्त करने के लिए पुलिस ने एक डिटेक्शन टीम का गठन किया है. जिसमें हरेक पुलिस स्टेशन में दो अधिकारी और दो शिफ्ट में काम करने वाले कुछ कांस्टेबल शामिल हैं. बेहतर रिकवरी और जल्दी पता लगाने के लिए टीमों का नेतृत्व इंस्पेक्टर (क्राइम) करता है. मुंबई में तैनात एक इंस्पेक्टर ने कहा कि, औसतन, एक टीम एक समय में 50 से ज्यादा अपराधिक मामलों को संभालती है और सभी पुलिस थाने पर आश्रित रहते हैं. वे जितने मामलों को संभालते हैं, वह एक बार में 100 मामले बन जाते हैं, जो इसे एक मुश्किल काम बनाता है. 


इंस्पेक्टर ने आगे कहा, इसके अलावा, इन अधिकारियों के पास साइबर अधिकारियों की तरह कोई विशेष प्रशिक्षण भी नहीं होता है. जब वो दो साल तक इस टीम के साथ काम करते हैं तब अपने कौशल को विकसित करते हैं. अन्य थाने के पुलिस अधिकारियों के साथ अपना केस सुलझाने की रणनीतियों को साझा करते हैं. 


Maharashtra Weekly Weather Forecast: महाराष्ट्र में गिरेगा तापमान और गर्मी से मिलेगी राहत, जानें- इस हफ्ते के मौसम का क्या है अनुमान


10,000 सीसीटीवी कैमरों से चोरों की पहचान करने में आसानी
पुलिस को उम्मीद है कि अपराधियों को पहचान ने में आसानी होगी क्योंकि शहर में सरकार द्वारा स्थापित सीसीटीवी कैमरों की संख्या 5,000 से बढ़कर लगभग 10,000 हो गई है. इससे पुलिस को सहायता मिलेगी. मुबंई में इस जांच टीम के साथ काम करने वाले एक असिस्टेंट इंस्पेक्टर ने कहा, चोरों की जल्दी पहचान के लिए सीसीटीवी कैमरों और अभियुक्तों के आपराधिक रिकॉर्ड को जल्दी से जांचने की जरुरत है. लेकिन कई बार दिक्कत आ जाती है, क्योंकि या तो घटनास्थल पर सीसीटीवी कैमरे नहीं होते हैं या कैमरों की गुणवत्ता खराब होती है या काम नहीं कर रहे होते हैं.


पुलिस अधिकारी ने आगे कहा, 'इसके अलावा, अपराध और आपराधिक ट्रेकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) जो अपराधियों के डेटाबेस को बनाए रखते हैं, उन्हें व्यापक जानकारी की आवश्यकता होती है जिसे अपडेट होने में अधिक समय लगेगा.


पुलिस को हो रही परेशानी 
अधिकारियों को कुछ कीमती सामान को बरामद करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. एक सब इंस्पेक्टर, जो पहले एक डिटेक्शन ऑफिसर के रूप में काम कर चुके हैं, ने कहा, "सोना, नकद, इलेक्ट्रॉनिक आइटम जैसे डिस्पोजेबल कीमती सामानों को दुबारा बरामद करना बहुत मुश्किल है. ऐसे कई उदाहरण है जहां अपराधी शहर से भाग गए हैं और उन्हें जल्दी से ट्रैक करने की जरूरत है, जोकि संम्भव नहीं है. अपराधियों ने चोरी का पैसा खर्च कर दिया और सोने को ज्वेलर्स को बेच दिया. फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान के मामले में वे इसका IMEI नंबर बदल देते हैं या स्पेयर पार्ट्स बेच देते हैं.


नए हथकंडे अपना रहे अपराधी
एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने पहचान नहीं उजागर करने पर कहा, नए अपराधियों को ट्रैक करना मुश्किल है क्योंकि ये नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं. हमारे काम का बोझ दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. आजकल सांप्रदायिक और राजनीतिक समस्याओं के कारण बंदोबस्त भी बढ़ गया है और हम फंस गए हैं. मोबाइल और वाहन चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं.  


Maharashtra News: ओवैसी की पार्टी का बड़ा आरोप, सांसद बोले- शिवसेना को कमजोर करने के लिए राज ठाकरे को बढ़ावा दे रहे शरद पवार