Maharashtra News: जलगांव के एक मस्जिद में नमाज अदा करने पर रोक लगा दी गई है. जलगांव जिला प्रशासन ने मस्जिद के अस्तित्व किए जा रहे दावों के बीच अंतरिम आदेश जारी किया है. यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच में पहुंच गया है. जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी ने जलगांव जिला कलेक्टर अमन मित्तल द्वारा 11 जुलाई को जारी किए गए आदेश के खिलाफ याचिका दायर की है.
हिंदू संगठन का ये है दावा
हिंदू संगठन, पांडववाड़ा संघर्ष समिति ने दावा किया है कि मुंबई से 350 किलोमीटर दूर एरंडोल में स्थित यह संरचना मंदिर जैसी है और समिति ने आरोप लगाया है कि स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने इस पर अतिक्रमण कर रखा है. वहीं मस्जिद की देखभाल करने वाली जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट समिति का दावा है कि यह ढांचा उसके पास करीब 1861 से है. उस पर मालिकाना हक दिखाने का रिकार्ड भी जुम्मा समिति के पास है.
क्या है पूरा मामला?
महाराष्ट्र के जलगांव जिले में एक मस्जिद में "मंदिर की शक्ल" होने की शिकायत के बाद, संरचना के प्रभारी ट्रस्ट ने संपत्ति के अंदर प्रवेश पर रोक लगाने वाले कलेक्टर के आदेश को पलटने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ में याचिका दायर की है. ट्रस्ट के वकील एसएस काजी के मुताबिक 18 जुलाई को याचिका पर सुनवाई होगी. अपील में, जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी ने कहा कि 11 जुलाई, 2023 को, कलेक्टर ने एक "मनमाना और अवैध" आदेश जारी किया है. समिति की ओर से समिति के अध्यक्ष अल्ताफ खान द्वारा याचिका प्रस्तुत की गई.
ये संरचना ऐतिहासिक स्मारक घोषित है
यह आदेश दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 और 145 के तहत पारित किया गया था, जिसके अनुसार भूमि के विवाद पर अंतिम निर्णय होने तक यथास्थिति बनाए रखी जाएगी. याचिका के अनुसार, मस्जिद दशकों से अस्तित्व में है और महाराष्ट्र सरकार ने मस्जिद की संरचना को एक प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया था, और इसे संरक्षित स्मारकों की अनुसूची में सूचीबद्ध किया गया है.